भारत के महान्यायवादी यह भारत सरकार का प्रथम विधि अधिकारी होता है। के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त होता है तथा राष्ट्रपति के प्रसाद प्रयत्न पद धारण करता है। महान्यायवादी बनने के लिए व्यक्ति को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने की योग्यता रखनी जरूरी है। इसे भारत के सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार होता है। इसे संसद के दोनों सदनों में बोलने तथा उसकी कार्यवाही ओं में भाग लेने का अधिकार होता है परंतु वह वोट नहीं दे सकता। इंग्लैंड की तरह भारत में महान्यायवादी मंत्रिमंडल का सदस्य नहीं होता। केंद्र में सरकार बदलने पर वह इस्तीफा दे देता है,फिर अगली सरकार द्वारा नामित व्यक्ति ही पद ग्रहण करते हैं। वह निजी प्रैक्टिस भी कर सकता है परंतु सरकार के विरुद्ध ना तो सलाह दे सकता है और ना ही इसके विरुद्ध वकालत कर सकता है। कार्य:- भारत सरकार को विधि संबंधी ऐसे मामलों पर सलाह देना और कानूनी स्वरूपों के ऐसे अन्य कर्तव्य का पालन करना जो उसे सौंपे जाते हैं। ऐसे मामलों में जिनमें भारत सरकार शामिल हो सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय में सरकार का प्रतिनिधित्व करना।
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