राज्य के नीति निर्देशक तत्व:- संविधान के भाग 4 में अनुच्छेद 36 से 51 तक राज्य के नीति निर्देशक तत्वों का वर्णन है। यह उन उद्देश्यों को उल्लेखित करते हैं जो राज्यों को हासिल करने चाहिए। यह तत्व हमारे संविधान की प्रतिज्ञा और आकांक्षाओं को वाणी प्रदान करते हैं। इस प्रकार यह सिद्धांत देश के प्रशासकों के लिए एक आचार संहिता है। नीति निदेशक तत्व केवल अनुदेश है,यह न्यायालय द्वारा लागू नहीं कराए जा सकते अर्थात ये वाद योग्य नहीं है। इनमें और मौलिक अधिकारों में यही सबसे बड़ा अंतर है। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु राज्य बनाम अबु कवुर बाई मामले।(1984) मैं कहा था कि'यह भी नीति निर्देशक तत्व,और बाध्यकारी नहीं है फिर भी न्यायालय को इनकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए ।इससे सिद्ध होता है कि यह तत्व देश के शासन में मूलभूत है। राज्य के नीति निर्देशक तत्व: महत्वपूर्ण अनुच्छेद अनुच्छेद 38:- राज्य लोक कल्याण की अभिवृत्त के लिए सामाजिक व्यवस्था बनाएगा। अनुच्छेद 39 'क ':- सामान्य और नि:शुल्क विधिक सहायता। अनुच्छेद 40:- ग्राम पंचायतों का संगठन अनुच्छेद 41:- कुछ दशाओं में काम शिक्षा और लोग सहायता पाने का अ...
सामाजिक अध्ययन का क्षेत्र अत्यंत व्यापक है।सामाजिक अध्ययन में हमारी संस्कृति कला, साहित्य, इतिहास, खेलकूद, हमारी राज्य व्यवस्था, अर्थव्यवस्था ,भौतिक विज्ञान तथा समस्त जीवो का अध्ययन करता है। इसके अंतर्गत समस्त विषयों का अध्ययन कराया जाता है । जिसकी सहायता से हम देश दुनिया से संबंधित जानकारी पढ़ सकते हैं। जो व्यक्ति देश विदेश के बारे में रुचि रखते हो उनके लिए सामान्य ज्ञान बेहद महत्वपूर्ण विषय है। सामान्य ज् उन विद्यार्थियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं।