चक्रवात घूमती हुई वायुराशि को कहते हैं। यह दो प्रकार के होते हैं:-
1. उष्णकटिबंधीय चक्रवात या वलकियक चक्रवात (tropical cyclone)
2. ब्राहोष्ककटिबंधीय चक्रवात या शीतोष्णकटिबंधीय चक्रवात या उष्णवल्यापर चक्रवात (extratropical cyclone या temperate cyclone)
- वायु संगठन या तूफान है जो उष्णकटिबंधीय में तीव्र और अन्य स्थानों पर साधारण होते हैं। इनमें प्रचुर वर्षा होती है। इसका व्यास 50 से लेकर 1000 मील तक का तथा उपेक्षा का अर्थ निम्न वायुदाब वाला होता है। यह 20 से 30 मील प्रति घंटे का होता है। यह वेस्टइंडीज में प्रभंजन(hurricane) तथा चीन सागर एवं फिलीपींस में बवंडर(typhoon)और अमेरिका में टॉरनेडो(tornado) तथा ऑस्ट्रेलिया में विल्ली विलिज कहे जाते है।
- उष्णवलयपार चक्रवात
- यह मध्य एवं उच्च अक्षांशों का निम्न वायुदाब वाला तूफान है। इसका वेग 20 से लेकर 30 मील प्रति घंटे के देख से सर्कुलर रूप से चलता है। प प्राय: इससे हिमपात एवं वर्षा होती है। दोनों प्रकार के चक्रवात cyclone उत्तरी गोलार्ध में वामावर्त तथा दक्षिणी गोलार्ध में दक्षिणावर्त रूप में संचारित होता है।
- उष्णवलयपार चक्रवात में साधारणतया वायु विचलन रेखाहुई होती हैं। जो विषुवत की निम्नवायुकेंद्र मैं सैकड़ों मील तक बड़ी रहती है तथा गर्म एवं नम वायु को ठंडा और शुष्क वायु से प्रथक करती है।
- चक्रवात के प्रकार:-
- ध्रुवीय चक्रवात
- ध्रुवीय कम
- आंतरिक उष्ण कटिबंधीय चक्रवात
- अंतर उष्ण किबन्धीय चक्रवात
- उष्ण कटिबंधीय चक्रवात
- मैस ओं साइक्लोन एस
- ध्रुवीय चक्रवात
एक ध्रुवीय उपद्रवी आया आर्कटिक चक्रवात (जो ध्रवीय बगड़ भी कहलाता है) एक कम दबाव वाला विस्तृत क्षेत्र है। जो सर्दियों में मजबूत है और गर्मियों में कमजोर पड़़ जाता। एक भव्य चक्रवात एक कम दबाव वाली मौसम प्रणाली है।
जो 1000 किलोमीटर (620mil) 2,000km(1;200mil) फैलता है। इसमें हवा उत्तरी गोलार्ध में उत्तर्रावत दिशा में घूमती है। उत्तरी गोलार्ध में ध्रुवीय चक्रवात में ओसत दो केन्द्र होते है। एक केन्द्र बाफ्फिंन द्वीप में और दूसरी उत्तरी पूर्व साई बेरिया के निकट होता है। दक्षिणी गोलार्ध में यह160 पश्चिमी देशांतर के पास रोस आइस शेल्फ के किनारे स्थित हो जाता है। जब ध्रुवीय भवर शक्तिशाली होती है। तो इसका प्रवाह पृथ्वी की सतह की ओर बड़ जाते है। जब ध्रुवीय चक्रवात कमजोर होता है। महत्वपू्ण शीत प्रकोप बड़ने लगता है।
एक ध्रुवीय कम छोटे पैमाने पर कम समय तक जीवित कम दवाब प्रणाली है । जो दोनों उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध के मुख्य ध्रुवीय अंगक्रत के सामने महासागर क्षेत्रों पर पाई जाती हैं। यह प्रणाली आमतौर पर समानांतर पैमाने पर कम दिखाई देती है । और एक दो दिन से ज़्यादा जीवित रह सकती है। - वे बड़े वर्ग के मेसोस्केल मौसम प्रणाली का भी हिस्सा है । परंपरिक मौसम रिपोर्ट से ध्रुवीय कम का पता लगाना ठीक है। और उच्च अक्षांश प्रक्रियाओ जैसे कि ध्रुवीय मेसो स्केल भंवर आर्कटिक तूफान , आर्कटिक कम और ठंडी हवा का दवाब , आमतौर पर यह शब्द अधिक जोरदार प्रणालियों के लिए आरक्षित किया गया है। जहा कम से कम 17 मिनट की निकट सतह की हवाएं है।
- अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवात
- एक अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक संक्षिप्त पैमाने पर कम दबाव वाली मौसम प्रणाली है। जिनके नाते उसे कटिबंधीय और ना ही कोई ध्रुवीय विशेषताएं हैं, जो तापमान और हिंदुओं में अंकित और समांतर ढाल में जुड़े होते हैं। इसे वैसे बरॉफ्लिनिक क्षेत्र कहा जाता है। अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय शब्द इस तथ्य का निरूपण करता है।कि इस प्रकार के चक्रवात ग्रह के कटिबंध के बाहर मध्य अक्षांश के बीच होते हैं। इन प्रणालियों में हमें क्षेत्रीय गठन या उत्तर उष्णकटिबंधीय चक्रवात के कारण मध्य अक्षांश चक्रवात के रूप में सूचित किया जाता है। जहां अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय संक्रमण होता है। और अक्सर मौसम का पूर्व अनुमान लगाने वालों और आम जनता के द्वारा कम या कम दवाब वर्णित होता है। यह हर रोज की घटनाएं हैं। जो विरोधी चक्रवर्ती के साथ, धरती के अधिकतर हिस्सों के मौसम को बनाती है। हालांकि अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवात को लगभग हमेशा बरोक्लीनिक कहा जाता है। क्योंकि यह पश्चिम हवा के तापमान और हिम बिंदु ढाल के क्षेत्रों के साथ रहते हैं। और कभी-कभी यह बरोत्रिपिक भी बन जाते हैं। जब चक्रवात के पास का तापमान वितरण त्रिज्या के साथ एक समान हो जाता है। एक अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक कटिबंधीय तूफान मैं और वहां एक अंत कृष्ण कटिबंधीय चक्रवात में परिणित हो जाता है। अगर यह गर्म पानी के ऊपर रहता है और जो अपनी मूल गर्मी को केंद्रीय संवेदन में विकसित करता है।
- अन्त:उष्णकटिबंधीय
- एक अंत उस कटिबंधीय चक्रवात एक मौसम प्रणाली है जिसके कुछ लक्षण उष्णकटिबंधीय चक्रवात और कुछ अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवात के होते हैं। ये भूमध्य रेखा और 50 वे समयांतर के बीच बन सकते हैं। 1950 के दशक से ही अंतरिक्ष विज्ञान शास्त्रियों को यह समझ में नहीं आ रहा था कि इसे वे उष्णकटिबंधीय चक्रवात का है या अधिक उष्णकटिबंधीय का है इसीलिए इन्हें वे उष्णकटिबंधीय समान और अर्द उष्णकटिबंधीय कहते थे जो संकर चक्रवात भी कहे जाते थे। 1972 तक में राष्ट्रीय हरिकेन केन्द्र ने इसे सरकारी तौर पर इस चक्रवात वर्ग को मान्यता दी।
- अंत: उष्णकटिबंधीय चक्रवात को 2002 से (Atlantic) बेसन से सरकारी उष्णकटिबंधीय चक्रवात सूची से नाम प्राप्त होने लगे। उनके पास व्यापक हवा प्रतिमान है, जो अधिकतम हवा को थाम सकते है। जो उष्णकटिबंधीय चक्रवर्ती के मुकाबले केंद्र से दूर स्थित है। और जो कमजोर से लेकर मध्य स्तर तक के तापमान तक पाया जाता है। क्योंकि ये अधिक कटिबंधीय चक्रवात से बनते है । जिनके तापमान अन्य कटिबंधीय से ठंडे होते है। उनके गठन के लिए प्रयुक्त समुंद्र का तापमान उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात की दहलीज की तुलना में 3०C या 5०F से कम होता है।
- 23०C के आसपास होता है। इससे यह पता चलता है कि अन्त: उष्ण कटिबंधीय चक्रवात परंपरागत सीमा के बाहर तूफानी मौसम में बनते है।
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