स्थलमण्डल
यह पृथ्वी की कठोर भूपर्पटी की सबसे ऊपरी सतह है। इसकी मोटाई महाद्वीप और महासागरों में भिन्न-भिन्न होती है। (35-50 किलोमीटर महाद्वीपों में 6-12 किलोमीटर समुद्र तल में)।
चट्टाने
पृथ्वी की सतह का निर्माण करने वाले पदार्थ चट्टान या श शैल कहलाते हैं।
बनावट की प्रक्रिया के आधार पर चट्टानों को तीन भागों में विभाजित किया जाता है।
यह चट्टाने सभी चट्टानों में सबसे ज्यादा (95%) मिलती है । इनका निर्माण ज्वालामुखी उद्गार के समय निकलने वाला लावा के पृथ्वी के अंदर या बाहर ठंडा होकर जम जाने से होता है।
यह प्राथमिक चट्टाने कहलाती है क्योंकि बाकी सभी चट्टानों का निर्माण, इन्हीं से होता है।
उत्पत्ति के आधार पर यह तीन प्रकार की होती है:-
1. ग्रेनाइट (Granite)
इन चट्टानों के निर्माण में मैग्मा धरातल के पन्ना पहुंचकर अंदर ही जमकर ठोस रूप धारण कर लेता है।मेघा के ठंडा होने की प्रक्रिया बहुत धीमी होती है क्योंकि अंदर का तापमान अधिक होता है और बनने वाले क्रिस्टल काफी बड़े होते हैं।
2. बेसाल्ट (basalt)
यह समुद्री सदैव पर पाई जाती है
ज्वालामुखी विस्फोट के कारण मैं घरों के बाहर आकर जमने से यह चट्टाने बनती है।
*पृथ्वी के आंतरिक भागों में पिघले हुए मेघवा से निर्मित चट्टानों को भिन्न भिन्न नामों से जाना जाता है।
जब मैग्मा ऊर्ध्वाधर परतों में जमता है तो उसे डाइक कहते हैं।
जब मैग्मा क्षेत्र के रूप में जमता है तो उसे सिल् कहते हैं।
जब मैग्मा गुंबद या लेंस आकार में जमता है तो उसे लैकोलिथ कहते हैं।
आधार पर मैग्मा के जमने से बनी चट्टान बाथोलिथ कहलाते हैं।
2. अवसादी चट्टानें
यह प्राचीन चट्टानों के टुकड़े, जीवाश्म तथा खनिजों के परतदार एवं संगठित जमाव से निर्मित होते हैं। यह भुप्रश्ट के 75 प्रतिशत भाग पर फैली रहती है।
इन्हें पता चट्टानों के नाम से भी जाना जाता है।
जिप्सम, चीका मिट्टी, चूने का पत्थर, कोयला, बालू का पत्थर, शेल, ग्रेवल आदि अवसादी चट्टानों को धारण है।
3. रूपांतरित चट्टान
अवसादी एवं अग्नि चट्टानों में ताप दबाव और रासायनिक क्रियाओं आदि के कारण परिवर्तित हो जाता है । इससे जो चट्टाने बनती है वो रूपांतरित या परावर्तित चट्टाने कहलाती हैं।
चट्टान रूपांतरित रूप
शेल स्लेट
बालू पत्थर क्वॉर्ट् जाईट
ग्रेनाइट नाइस
स्लेट स्किस्ट
कोयला ग्रेफाइट, हीरा
पर्वत
धरातल के 27%भाग पर पर्वतों का विस्तार है।आयु के आधार पर पर्वतों को मुख्य दो भागों में विभाजित किया जाता है।
लगभग तीन करोड़ वर्षों से पहले हुए महादीपीय विस्थापन से पहले के पर्वत प्राचीन पर्वतों में आते हैं जैसे
:- पैनाइन(यूरोप), अल्पेशिया(अमेरिका), अरावली (भारत) आदि । अरावली विश्व के सबसे प्राचीन पर्वत माने जाते हैं।
जो पर्वत महाद्वीपीय विस्थापन के बाद अस्तित्व में आए हैं, वे नवीन पर्वतों की श्रेणी में आते हैं। जैसे हिमालय, रॉकी, एडिस, आल्पस आदि।हिमालय विश्व के सबसे नवीन पर्वत माने जाते हैं।
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