आवर्त सारिणी (periodic table)
तत्वों का वर्गीकरण:-(classification of element)
*सन् 1869 में एशियन वैज्ञानिक मेंडलीफ ने तत्वों का प्रथम आवर्त वर्गीकरण दीया ।
*तत्वों के गुण, उनके परमाणु भार ओके आवर्ती फलन है।
*मेंडलीफ के समय में 63 ज्ञात तत्व थे जिन्हे उन्हें सात आवर्तो (क्षतिज कॉलमो) तथा 8 वर्गो (खड़े कॉलमो) मैं बाटा।
*आधुनिक आवर्त नियम के अनुसार तत्वों के गुण उनके परमाणु क्रमांक आवर्ती फलन है।
*मेंडलीफ की संशोधित आवर्त सारणी को 18 खड़े कॉलम (जिन्हें समूह कहते हैं) तथा सात क्षतिज कोलंमो(जिन्हें आवर्ट हैं) मैं बांटा गया।
प्रत्येक आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर तत्वों में संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या 1 से 8 तक बढ़ती है।
आवर्ता में तत्वों को बढ़ते हुए परमाणु क्रमांक के अनुसार रखा गया है।
आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर तत्वों की संयोजकता पहले एक से चार बढ़ती है, फिर 4 से 1 तक घटती हैं।
आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर परमाणु का आकार घटता है।
प्रत्येक आवर्त में बाएं से दाएं चलने पर तत्व का धनात्मक गुण घटता है।
प्रत्येक आवर्त में बाएं से दाएं चलने पर परमाणु का आकार घटने के कारण तत्वों की धतुविक्त भी घटती जाती है।
प्रत्येक आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर ऑक्साइड का क्षारीय गुण घटता है।
प्रत्येक आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर ऋण विद्युतीय प्रकृति, अधात्विक प्रकृति तथा अन्क्साइडो का अम्लीय गुण घटता है।
प्रत्येक आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर आयन विभव बढ़ता है।
प्रत्येक आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर इलेक्ट्रॉन बंधुता भी सामान्यत: बढ़ती है।
आवर्त सारणी में वर्गों के सभी तत्व में संयोजी इलेक्ट्रॉन की संख्या समान होती है।
प्रत्येक समूह में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु त्रिज्या में वृद्धि होती है। एक समूह में ऊपर से नीचे जाने पर धन विद्युतीय प्रकृति, धतुविक्ता, अपचायक गोल तथा ऑक्साइड की क्षारीय गुण बढ़ता है।
प्रत्येक समूह में ऊपर से नीचे जाने पर ऋण विद्युती प्रगति, आधतुविकता,तथा ऑक्साइड का अम्लीय गुण परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ-साथ घटता है।
आवर्त सारणी में समूह में ऊपर से नीचे जाने पर आयन विभव, इलेक्ट्रॉन बंधुता बढ़ती है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें