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Himalaya(Mountains of Central Asia)

 हिमालय

हिमालय भारत में स्थित एक प्राचीन पर्वत श्रंखला है, हिमालय को पर्वतराज भी कहते हैं जिसका अर्थ है पर्वतों का राजा, कालिदास तो हिमालय को पृथ्वी का मानदंड मानते हैं, हिमालय की पर्वत श्रंखला शिवालिक कहलाते हैं, सदियों से हिमालय की कंदराओ गुफा में ऋषि मुनियों का वास रहा है और वह यहां तपस्या करते हैं, हिमालय अध्यात्म चेतन का ध्रुव केंद्र है। हिमालय अनेक रत्नों का जन्मदाता है, हिमालय पर्वत तंत्र है जो भारतीय उपमहाद्वीप को मध्य एशिया और तिब्बत से अलग करता है। हिमालय पर्वत सात देशों की सीमाओं में फैला है, यह देश है: पाकिस्तान, अफगानिस्तान, भारत, नेपाल, भूटान, चीन और म्यांमार
संसार की अधिकांश ऊंची पर्वत चोटिया हिमालय मैं ही स्थित है, विश्व के 100 सर्वोच्च शिखरों में हिमालय की अनेक चोटिया है, विश्व का सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट हिमालय का ही एक शिखर है, हिमालय में सबसे ज्यादा पर्वत शिखर है जो 7200 मीटर से ऊंचे हैं, हिमालय के कुछ प्रमुख शेयरों में सबसे महत्वपूर्ण सागरमाथा हिमाल, अन्नपूर्णा, शिव शंकर, गणेय, लांगतंग, कुंभू, मानसलू हैं। हिमालय श्रेणी में 15,000 से ज्यादा हिमनद है जो 12000 वर्ग किलोमीटर में फैले हुए हैं, 72 किलोमीटर लंबा सियाचिन हिमनद विश्व का दूसरा सबसे लंबा हिमनद है, हिमालय की कुछ प्रमुख नदियों में शामिल है, सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र और यागतेज।वह निर्माण के सिद्धांत के अनुसार यह है भारत ऑस्ट्रेलिया प्लेटो से एशियाई प्लेट को टकराने से बना है। हिमालय के निर्माण में प्रथम स्थान 650 लाख वर्ग पूर्व हुआ था और मध्य हिमालय का उत्थान चार सौ पचास लाख वर्ष पूर्व, हिमालय में कुछ महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल भी है, इनमें हरिद्वार, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गौमुख, देवप्रयाग, ऋषिकेश, कैलाश, मानसरोवर तथा अमरनाथ शाकंभरी प्रमुख है।
भारतीय ग्रंथ गीता में भी इसका उल्लेख मिलता है।
 हिमालय का निर्माण
जहां आज हिमालय है वहां कभी टेथिस नाम का सागर लहराता था, यह एक लंबा और उठला सागर था, इसके उत्तर में अंगारलैंड, और दक्षिण में गोंडवानालैंड नाम के दो भूखंड थे, लाखो वर्ष इन दोनों भूखंडों का अपरदन होता रहा और  अपर्दित पदार्थ (मिट्टी,कंकर, बजरी, गाद आदि) टेथिस सागर में जमा होने लगे, यह दो विशाल भूखंड एक-दूसरे की ओर खिसकने भी रहे,दो विरोधी दिशाओं में पढ़ने वाला दबाव के कारण सागर में जमीन मिट्टी आदि की परतों में मोड़ (वलय) पड़ने लगे।य वलय द्विपो की एक श्रंखला के रूप में  पानी की सतह से ऊपर आ गए, यह क्रिया निरंतर चलती रही और कलांतर में विशाल वालित पर्वत श्रेणियों के निर्माण हुआ जिन्हें आज हम हिमालय के नाम से जानते हैं।
लघु हिमालय
हिमालय पर्वत का वह भाग जो महान हिमालय के दक्षिण सामाअंतर तक फैला हुआ है, लघु हिमालय कहलाता है।यह अंचल मध्य हिमालय का हिमाचल हिमालय के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन वास्तव में यह मध्य हिमालय ही है,लघु हिमालय 80 से 100 किलो मीटर चौड़ाई में फैला हुआ है, इसकी औसत ऊंचाई 1628 मीटर से लेकर 3000 मीटर है, इसकी अधिकतम ऊंचाई 4500 मीटर है।

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