राष्ट्रपति:-
भारतीय संघ की कार्यपालिका के प्रधान को राष्ट्रपति कहा जाता है।
राष्ट्रपति कार्यपालिका का औपचारिक प्रधान है और मंत्रिपरिषद कार्यपालिका की वास्तविक प्रधान, राष्ट्रपति भारत का संवैधानिक अध्यक्ष है।
राष्ट्रपति अनेक अधिकारों का प्रयोग स्वयं या अपने अधीनस्थ सरकारी अधिकारियों द्वारा करता है।
योग्यताएं:-
वह भारत का नागरिक हो।
वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हूं।
वह लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता रखता हो ।
वह किसी भी सरकारी लाभ के पद पर आसीन नहीं होना चाहिए। निम्न पद लाभ के पद नहीं माने जाते-राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल, केंद्रीय अथवा राज्य का मंत्री।
राष्ट्रपति पद के लिए नाम का प्रस्ताव तथा उसका अनुमोदन कम से कम 50- 50 निर्वाचक ओ द्वारा किया जाना चाहिए।
भारत का राष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचन मंडल द्वारा चुना जाता है।जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और राज्य विधानसभाओं और संघीय क्षेत्रों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं। राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में संसद के मनोनीत सदस्य, राज्य विधानसभाओं के मनोनीत सदस्य तथा राज्य विधान परिषदों के सदस्य शामिल नहीं किए जाते। राष्ट्रपति के चुनाव के लिए अनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय प्रणाली को अपनाया गया है।
मतदान गुप्त मतपत्र द्वारा होता है और चुनाव मैं सफलता प्राप्त करने के लिए उम्मीदवार को"न्यूनतम कोटा"प्राप्त होना आवश्यक होता है।
न्यूनतम कोटे की व्यवस्था इसलिए की गई है ताकि स्पष्ट बहुमत प्राप्त होने पर ही एक व्यक्ति को राष्ट्रपति का पद प्राप्त हो सके। राष्ट्रपति के निर्वाचन मंडल के प्रत्येक सदस्य के मत का मूल्य समान नहीं होता। प्रत्येक सदस्य के मत का मूल्य निम्नलिखित दो सिद्धांतों के आधार पर निश्चय किया जाता है।
1. किसी भी राज्य का संज्ञा क्षेत्र की विधानसभा के सदस्य के मतों की संख्या (मूल्य)
2. संसद के प्रत्येक सदन के प्रत्येक निर्वाचित सदस्य के मतों की संख्या (मूल्य)
राष्ट्रपति के चुनाव के पश्चात उसी व्यक्ति को निर्वाचित घोषित किया जाता है, जो आधे से अधिक मत प्राप्त करते हैं,यदि किसी में द्वार को नियत कोटे के बराबर मत मूल्य नहीं प्राप्त होता है तो मतगणना के और दौर होते हैं। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के लिए जमानत की धनराशि 15,000 रुपए निश्चित की गई है।
राष्ट्रपति के चुनाव से संबंधित विवादों की छानबीन तथा निर्णय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जाता है।
राष्ट्रपति को अपना पद ग्रहण करने के पूर्व भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनकी अनुपस्थिति में सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश के समक्ष पद एवं गोपनीयता की शपथ लेनी होती है।
उपलब्धिया,भत्ते तथा कार्यकाल
राष्ट्रपति की मासिक उपलब्धियां 1,00,000रू० है। इसके अतिरिक्त उन्हें नि:शुल्क निवास स्थान वे संसद द्वारा स्वीकृति अन्य भत्ते प्राप्त होते हैं । सेवानिवृत्ति के बाद राष्ट्रपति को 6 लॉक रुपए वार्षिक पेंशन प्राप्त होती है। संविधान के अनुच्छेद 59के अनुसार राष्ट्रपति की उपलब्धियां और भत्ते उसके कार्यकाल में घटाएं नहीं जा सकते।
राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष निश्चित किया गया है। यदि मृत्यु, त्याग पत्र अथवा महाभियोग द्वारा पदच्युतिके कारण राष्ट्रपति का पद इस अवधि के अंतर्गत रिक्त हो जाए तो इस स्थिति में नए राष्ट्रपति का चुनाव पुन: 5 वर्ष की संपूर्ण अवधि के लिए होता है ना की शेष अवधि के लिए।
संविधान द्वारा राष्ट्रपति पद पर पुननिर्वाचन के लिए किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
महाभियोग:-
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 61के अनुसार राष्ट्रपति के द्वारा संविधान का उल्लंघन करने पर उसके विरुद्ध महाभियोग चलाकर उसे पदच्युक्त किया जा सकता है।
महाभियोग प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में लाया जा सकता है किंतु अभियोग प्रस्ताव पर विचार करने से पूर्व राष्ट्रपति को 14 दिन का नोटिस दिया जाना आवश्यक है।यह भी आवश्यक है कि अभियोग लगाने वाले सदन की कुल सदस्य संख्या के कम से कम1/4 सदस्यों के अभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर हो। राष्ट्रपति को सदन में स्वयं उपस्थित होकर अथवा अपने किसी प्रतिनिधिद्वारा महाभियोग की जांच में हिस्सा लेने का अधिकार प्राप्त है।इसमें दोनों सदनों को प्रस्ताव दो तिहाई बहुमत से पारित करना होता है। अभियोग सिद्ध होने पर राष्ट्रपति को अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ता है।
यदि राष्ट्रपति का पद मृत्यु,त्याग पत्र अथवा पद से हटाए जाने के कारण खाली होता है तो उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है।यदि उपराष्ट्रपति भी अनुपस्थित है तो सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है मुख्य न्यायाधीश की अनुपस्थिति में सर्वोच्च न्यायालय का वरिष्ठ न्यायाधीश राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है। राष्ट्रपति के पद के लिए नया चुनाव पद रिक्त होने के 6 महीने के भीतर ही होना जरूरी है।
राष्ट्रपति के कार्य व शक्तियां:-
कार्यपालिका संबंधी शक्तियां:-
महत्वपूर्ण अधिकारियों की नियुक्ति व पदच्युति , शासन संचालन संबंधी शक्ति, सैनिक क्षेत्र में शक्ति, इत्यादि।
विधायी शक्तियां:-
विधायी क्षेत्र का प्रशासन, सदस्यों का मनोनयन, अध्यादेश जारी करने की शक्ति, इत्यादि।
राष्ट्रपति वित्त आयोग, संघ लोक सेवा आयोग, चुनाव आयोग, भाषा योग और नियंत्रण तथा महालेखा परीक्षण आदि के प्रतिवेदनो को संसद के सामने प्रस्तुत करता है।
संकटकालीन शक्तियां:-
संकट की स्थिति का सामना करने के लिए संविधान द्वारा राष्ट्रपति को विशेष शक्तियां प्रदान की गई है। 44 वें संवैधानिक संशोधन के बाद वर्तमान में संविधान के संकटकालीन प्रस्ताव निम्न प्रकार से हैं:-
*युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति से संबंधित संकटकालीन व्यवस्था अनुच्छेद 352(article 352).
*राज्यों में संवैधानिक तंत्र के विफल होने से उत्पन्न संकट कालीन व्यवस्था अनुच्छेद 356(article 356)
*वित्तीय संकट अनुच्छेद 360 (article 360)
राष्ट्रपति को मंत्रिपरिषद से जो परामर्श प्राप्त होगा उसके संबंध में राष्ट्रपति को अधिकार होगा कि वह मंत्रीपरिषद को इस परामर्श पर पुनर्विचार के लिए कहें लेकिन पुनर्विचार के बाद मंत्रिपरिषद से राष्ट्रपति को जो परामर्श प्राप्त होगा, राष्ट्रपति उस परामर्श के अनुसार कार्य करेंगे।
कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:-
*डॉ० राजेंद्र प्रसाद दो कार्यकाल रखने वाले एकमात्र राष्ट्रपति थे।
*नीलम संजीव रेड्डी एकमात्र निर्विरोध निर्वाचित राष्ट्रपति थे।
*डॉ० वी०वी० गिरिएकमात्र ऐसे राष्ट्रपति थे जिनके निर्वाचन में द्वितीय चक्र की मतगणना करनी पड़ी थी।
*डॉ० वी० वी० गिरी प्रथम कार्यवाहक राष्ट्रपति थे ।
*राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले सर्वोच्च न्यायालय के एकमात्र मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम० हिदायतुल्ला थे।
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