भारत के राष्ट्रीय प्रतीक: -
राष्ट्रीय ध्वज :-
संविधान सभा ने राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) का प्रारूप 22 जुलाई 1947 को अपनाया।
ध्वज में समान अनुपात वाले तीन पट्टियां है जो केसरिया, सफेद में हरे रंग की है।
ध्वज में सबसे ऊपर गहरा केसरिया रंग होता है, जो जागृति, शौर्य तथा त्याग का प्रतीक है। बीच में सफेद रंग होता है जो सत्य एवं पवित्रता का प्रतीक है। तथा सबसे नीचे गहरा हरा रंग होता है जो जीवन समृद्धि का प्रतीक है।
ध्वज के बीच में सफेद रंग वाली पट्टी के बीच में गहरे नीले रंग की 24 तिलिया वाला अशोक चक्र है जो धर्म और ईमानदारी के मार्ग पर चलकर देश को उन्नति की ओर ले जाने की प्रेरणा देता है।
ध्वज की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 हैं।
दूध का प्रयोग और प्रदर्शन एक संहिता द्वारा नियमित होता है।
राष्ट्रीय गान
रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा रचित 'जन गण मन 'को भारत के राष्ट्रीय गान के रूप में स्वीकार किया गया ।
जन गण मन अधिनायक जया है। भारत भाग्य विधाता।। पंजाब सिंध गुजरात मराठा। द्रविड़ उत्कल बंगा।।
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा । उच्छल जलधि तरंगा ।।
तब शुभ नामे जागे । तव शुभ आशिष मांगे।।
गाय तक जागा था।।
जन गण मंगलदायक जय हे। भारत भाग्य विधाता।।
राष्ट्रगान को 24 जनवरी 1950 ईस्वी को, संविधान सभा द्वारा अंगीकृत किया गया।
राष्ट्रगान के गायक का समय 52 सेकंड है किंतु कुछ अफसरों पर इसे संक्षिप्त रूप में गाया जाता है जिसका समय 20 सेकंड है।
इस गीत को सर्वप्रथम सन 1911 ईस्वी में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया।
यह जनवरी, 1912 में'तत्वबोधिनी'नामक पत्रिका में'भारत भाग्य विधाता'शीर्षक से सर्वप्रथम प्रकाशित हुआ ।
सन 1919 ईस्वी में रविंद्र नाथ टैगोर ने इस गीत का अंग्रेजी अनुवाद'द मॉर्निंग सॉन्ग ऑफ इंडिया'शीर्षक से किया।
राष्ट्रगान में 13 पंक्तियां हैं।
राष्ट्रीय गीत
बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा रचित'वंदे मातरम'को भारत के राष्ट्रीय गीत के रूप में 24 जनवरी, 1950 को अपनाया गया।
यह गीत बंकिम चंद्र चटर्जी के प्रसिद्ध उपन्यास'आनंदमठ से लिया गया है।
यह गीत की रचना 1874 ईसवी में हुई थी।
इस गीत को सन 1896 ई ० में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में पहली बार गाया गया था।
इस गीत को गाने का समय 1 मिनट और 5 सेकेंड है।
राष्ट्रीय गीत का अंग्रेजी अनुवाद श्री अरविंद घोष ने किया।
राष्ट्रीय चिन्ह
26 जनवरी 1950 ईस्वी को भारत में सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ के शीर्ष की अनुकृति को राज्य के रूप में स्वीकार किया।
अशोक स्तंभ के शीर्ष कि जिस अनुकृति को स्वीकार किया गया है उनमें तीन सिंह (lion) दिखाई पड़ते हैं।
मूल आकृति में स्तंभ के चार सिंह एक-दूसरे की ओर पीठ किए हुए खड़े हैं।
इसके नीचे की पट्टियांके मध्य में उभरी नक्काशी में चक्र है जिसकी दाएं और 11 सांड और बाई और एक घोड़ा है।
फलक के नीचे देवनागरी लिपि में'सत्यमेव जयते'अंकित है जो मुंडक उपनिषद से लिया गया है।
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