- ब्रह्माण्ड में उपस्थित सूर्य से भी विशाल तारे:-
- 1.सूर्य
- सूर्य एक तारा है जो सौरमंडल के केंद्र में स्थित है। सूर्य के चारों ओर अन्य सभी ग्रह परिक्रमा करते हैं। जैसे (बुद्ध शुक्र पृथ्वी मंगल बृहस्पति ) आदि।
- सूर्य हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा तारा है। इसका व्यास 13 लाख 90 हजार किलोमीटर है। जो पृथ्वी से लगभग 109 गुना है। सूर्य में ऊर्जा का भंडार है। सूर्य के केंद्र में हाइड्रोजन हीलियम गैसों के नाभिकीय संलयन के कारण ऊर्जा उत्पन्न होती है।
- सूर्य का निर्माण (हाइड्रोजन, हिलियम, लोहा, निकेल, ऑक्सीजन, कार्बन, नियॉन, कैल्शियम, सिलिकॉन, सल्फर, मैग्नेशियम, क्रोमियम) तत्वों से हुआ है
- सूर्य पर बहुत सारे(sun spot) काले धब्बे हैं। प्रत्येक 11 वर्ष के बाद इन धब्बों की संख्या बढ़ती घटती रहती है। इस समय अंतराल को सौर धब्बा चक्र (Sun Spot Cycle) कहते हैं।
- सूर्य के चारों ओर एक पतली वातावरण है जो पूर्ण सूर्य ग्रहण के समय दिखाई देती है।
- सूर्य आकाशगंगा का एक चक्र 224 मिलियन वर्षों में लगाता है। इस कॉस्मिक वर्ष Cosmic Year कहते हैं
- 2.ब्याघ तारा (Sirius A)
- पृथ्वी से रात को सबसे ज्यादा चमकीला तारा ब्याघ तारा नजर आता है। यह तारा बिना दूरबीन के एक तारा लगता है परंतु यह वास्तव में द्वितीयक तारा है।
- जिसमें एक मुख्य अनुकरण तारा जिसकी श्रेणी AlV है। इसे व्याघ कहा जाता है। दूसरा तारा DA2 श्रेणी का है यह तारा एक सफेद बोना तारा है इसे व्याघ B भी कहते हैं।
- ब्याग तारा महाक्ष्रवान तारामंडल में स्थित है।
- 3.पुनर्वासु पॉलक्स (Pollux)
- इसका वायर नाम बीटा geminorum है। यह मिथुन तारामंडल में स्थिति सबसे चमकीला तारा है।
- यह पृथ्वी से दिखाई देने वाला सबसे चमकीला 17 वा तारा है। पोलेक्स पृथ्वी से लगभग 34 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है।
- इसे नारंगी दानव तारा orange giant कहते हैं।
- 4.स्वाति तारा (Arcturus)
- स्वाति तारा एक नारंगी दानव है। यह आकाश का सबसे चमकीला तीसरा तारा है।
- इसका तापमान लगभग 4,300 केल्विन होता है।
- स्वाति Arcturus के बारे में यह कहा गया है कि इसका कोई दूसरा तारा सकता है। इसका दूसरा तारा इस से 20 गुना कम चमकीला है परंतु यह अभी प्रमाणित नहीं है।
- 5.रोहिणी (Aldebaran)
- रोहिणी एक नारंगी दानव है। इसका वायर नाम अल्फा टो है।
- यह वृष तारामंडल का सबसे चमकीला तारा है। रोहिणी का अर्थ होता है लाल हिरण जो इस तारे के संदर्भ पर है।
- रोहिणी अपने केंद्र में हाइड्रोजन ईंधन समाप्त कर चुकी है। परंतु अभी इतना गरम नहीं हुआ है की हीलियम का नाभिकीय संलयन कर सके।
- इसकी चमक सूर्य से 140 गुना ज्यादा है।
- 6.राजनय तारा (Rigil)
- Rigil यह काल पुरुष तारामंडल मैं है यह एक blue supergiant है।
- यह अपने तारामंडल का सबसे अधिक चमकीला तारा है।
- राजनय तारा पृथ्वी से700 से 900 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है।
- Rigil यह एक नीला महा दानव तारा है।
- इसकी चमक सूरत से 85000 गुना ज्यादा है।
- सन 1831 ईस्वी में पता चला कि राजनय एक दोहरा तारा रहा है।
- Rigil A और Rigil B है।
- राजनय ने एक ही रोशनी राजनय बी से ज्यादा कम है ।
- यह दोनों तारे मामूली दूरबीन से अलग नजर नहीं आते।
- 7.पिस्टिल तारा (pistol star)
- पिस्टल तारा एक नीला महा दानव तारा है।Blue Hypergiant,
- आकाशगंगा का सबसे चमकीला तारा है।
- यह नग्न आंखों से देखा जा सकता है परंतु कुछ गैसे इसे दिखाई नहीं देने देती हैं।
- 8.जेष्ठा (Antares)
- यह है व्रक्षिक तारामंडल का सबसे चमकीला तारा है यह पृथ्वी से दिखाई देने वाला 16 वा सबसे चमकीला तारा है।
- इसका वायर नाम अल्फा स्कोपिय हैं।
- यह एक लाल महा दानव तारा red super giant है।
- जेष्ठा पृथ्वी से लगभग 600 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है।
- इस की चमक सूर्य से 65000 गुना ज्यादा है।
- 9.आद्र तारा (Betelgeuse)
- यह तारा एक लाल महा दानव तारा है।
- यह तारा काल पुरुष तारामंडल में है।
- यह पृथ्वी से सबसे चमकीला दिखाई देने वाला आठवां सबसे चमकीला तारा है।
- 10.वी वाई महाश्वन (VY Canis Majoris)
- यह महाश्वान तारामंडल में स्थित है।
- यह परम दानव तारा है।(Red Hypergiant)
- बी वाइ महाश्वान इतना विशाल तारा है कि अगर हमें सौरमंडल में इसे सूर्य के स्थान पर रखा जाए तो यह शनि की कक्षा तक की जगह इसी के अंदर आ जाए।
- 11.यू वाई स्कटी (u y Scuti)
- यह सबसे विशाल में चमकीला तारा है। UY Scuti सुर्य से लगभग1708 गुना बड़ा है।
- U y scuti मैं कुल 6 लाख 52 हजार अरब पृथ्वी समा सकती हैं यह इतना विशालकाय तारा है।
- U y scuti सूर्य से लगभग 7 गुना से 10 गुना ज्यादा बढ़ा है।
- यह तारा हमारे सौरमंडल से 8 लाख 98 हजार 770 अरब किलोमीटर दूर है।
- VY canis majoris भी UY Scuti से भी बहुत छोटा है।
भारत के प्रमुख शास्त्रीय नृत्य भारत में सबसे महत्वपूर्ण मुख्य: 7 भागों में बांटा गया है:- *भरतनाट्यम:- यह तमिलनाडु का प्रमुख शास्त्रीय नृत्य है,जिसे कर्नाटक संगीत के माध्यम से एक व्यक्ति प्रस्तुत करता है, यहां भ का अर्थ भाव से,र का अर्थ राग से, त का अर्थ ताल से, और नाट्यम का अर्थ थिएटर से है। यह नृत्य पहले मंदिरों मैं प्रदर्शित होता था। *कथकली:- यह केरल का प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य है, इसमें कलाकार स्वयं गाता नहीं है, बल्कि एक विशेष लय एवं राग के संगीत पर नृत्य करता है, नाटक की कथावस्तु अधिकांश: महाकाव्य एवं पौराणिक कथाओं पर आधारित है। कथकली का शाब्दिक अर्थ है, किसी कहानी पर आधारित नाटक। *कुचिपुड़ी:- यह आंध्र प्रदेश का नाट्य नृत्य है। कुचिपुड़ी नामक गांव के नाम पर ही इसका नाम पड़ा, इसमें अनेक कथनको (धार्मिक या पौराणिक) पर नृत्य होता है। *ओडिसी:- यह उड़ीसा का प्राचीन नृत्य है, यह पूर्णता आराधना का नृत्य है, इसमें नृत्य के माध्यम से संपन्न का भाव लिए, नृत्य की ईश्वरीय स्तुति करती हैं। *कथक:- यह मूल्यत: उत्तर भारत का शास्त्रीय नृत्य है। 13वीं शताब्दी के संगीत रत्नाकर ग्रंथों में कत्थक शब्...
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