- नागरिकता(Citizenship)
- नागरिकता एक विशेष सामाजिक राजनीतिक राष्ट्रीय या मानव संसाधन समुदाय का एक नागरिक होने की अवस्था है।
- सामाजिक अनुबंधन के सिद्धांत के तहत नागरिकता की अवस्था में अधिकार और उत्तरदायित्व दोनों शामिल होते हैं। सक्रिय नागरिकता के दर्शन अर्थात नागरिकों को सभी नागरिकता के जीवन में सुधार करने के लिए आर्थिक सहभागिता सार्वजनिक स्वयं सेवा कार्य और इसी प्रकार के प्रयासों के मध्य से अपने समुदाय को बेहतर बनाने की दिशा में कार्य करना चाहिए। इस दिशा में कुछ देशों में स्कूल नागरिकता शिक्षा उपलब्ध कराते हैं।
- वर्जिनियां लिएसी (1999) के द्वारा नागरिकता को अधिकारों के एक समूह के रूप में परिभाषित किया गया।
- उनके अनुसार नागरिकता की अवस्था में प्राथमिक रूप से सामुदायिक जीवन में राजनीतिक मतदान का अधिकार और दायित्व शामिल है।
- राष्ट्रीय नागरिकता
- आमतौर पर नागरिकता को एक व्यक्ति और एक विशेष देश के बीच संबंध के रूप में देखा जाता है।
- प्राचीन ग्रीस में मुख्य राजनीतिक इकाई शहर राज्य होते थे और नागरिक विशेष शहर राज्यों के सदस्य होते थे पिछले 500 वर्षों में राष्ट्र की सदस्यता के रूप में जाना जाने लगा है। कुछ हद तक कुछ संस्थाएं राष्ट्रीय सीमाओं को पार कर जाती हैं।जैसे व्यापार संगठन राष्ट्रीय सीमाओं को पार कर जाती है जैसे व्यापार गैर सरकारी संगठन और मल्टीनैशनल कॉरपोरेशंस और कभी-कभी शब्द "विश्व का नागरिक" उन लोगों के लिए प्रयुक्त किया जाता है। जो किसी विशेष रास्ते के साथ कम संबंध रखते हैं।इसके बजाय उन में पूरी दुनिया के साथ संबंधित होने की भावना अधिक होती है।
- आधुनिक समय में नागरिकता की नीति जूस सेगुनिस(jus sanguinis) रक्त का अधिकार, जूस सोली (Jus soli) मृदा का अधिकार राष्ट्रों के बीच विभाजित है। एक जूस सेगुनिस नीति जातीयता या वंश के आधार पर नागरिकता देती है, और यूरोप में प्रचलित एक राष्ट्र राज्य की अवधारणा से संबंधित है। एक जूस सोली नीति हर उस व्यक्ति को नागरिकता देती है, जो राज्य के प्रांत विशेष में पैदा हुआ है। इस नीति का अनुसरण संयुक्त राज्य सहित अमेरिका के कई देशों मैं किया जाता है। कई देशों में स्थानीय रास्ते की एक संकर जन्म अधिकार आवश्यकता और कम से कम एक अभिभावक की नागरिकता की आवश्यकता होती है।आमतौर पर समीकरण के माध्यम से या एक ऐसे व्यक्ति से विवाह करके भी किसी देश की नागरिकता प्राप्त की जा सकती है। जो उस देश का नागरिक है जुरे मेट्रिमोनि (jure matrimonii)
- भारत की नागरिकता
- किसी भी संप्रभु राष्ट्र में राज्य की और से नागरिकों को कुछ ऐसा अधिकार मिले होते हैं जो विदेशियों को प्रदान नहीं किए जाते। यह अधिकार निम्न है-
- अनुच्छेद 15, 16 ,19,29 और 30 मैं प्रदत्त मौलिक अधिकार केवल देश के नागरिकों को ही प्राप्त है।
- केवल नागरिक ही कुछ उच्च पदों पर आसीन हो सकते हैं जैसे-राष्ट्रपति, राष्ट्रपति, राज्यपाल, उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, महान्यायवादी और महाधिवक्ता।
- मतदान करने का अधिकार और संसद तथा राज्यों के विधान मंडलों के सदस्य बनने का अधिकार केवल नागरिकों को ही हासिल है।
- नागरिकता अधिनियम 1955
- नागरिकता अधिनियम 1955 के अनुसार भारत की नागरिकता पांच प्रकार से ग्रहण की जा सकती है:
1. जन्म से नागरिकता
जिस व्यक्ति का जन्म 26 जनवरी 1950 को या उसके पश्चात हुआ है, जन्म से भारत का नागरिक होगा। किंतु इस नियम के दो अपवाद हैं:-प्रथम,विदेश के राजनैतिक कर्मचारियों के भारत में उत्पन्न होने वाले बच्चों और द्वितीय शत्रुओं के अधीन भारत के किसी भाग में उत्पन्न होने वाले इनके बच्चे।
2. वंशानुगत
26 जनवरी 1950 अथवा उसके पश्चात भारत के बाहर जन्म लेने वाला बच्चा वंशानुक्रम से भारत का नागरिक होगा यदि उस समय उसका पिता भारत का नागरिक हो। इसके अतिरिक्त भारत की है नागरिकों के बच्चे और उन लोगों के बच्चे जो भारत के नागरिक ना होते हुए भी भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन सेवा कर रहे हैं ,वह इस उपबंध का लाभ उठा सकते हैं और पंजीकरण द्वारा वंशानुगत भारतीय नागरिक बन सकते हैं।
3. पंजीकरण द्वारा
संविधान में उल्लेखित उप बंदों के आधार पर जो व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं है, परंतु निम्नलिखित शब्दों में से किसी एक से भी संबंधित हो तो पंजीकरण द्वारा में भारत का नागरिक बनने के योग्य है। यह शर्तें निम्नानुसार है :-
- भारतीय उद्गम के व्यक्ति जो साधारणतया भारत में रहते हैं और विशेषता पंजीकरण के लिए आवेदन प्रस्तुत करने के कम से कम 6 महीने (6month)पहले से भारत में रहते हैं।
- भारतीय उद्गम के व्यक्ति जो अविभाजित भारत से बाहर किसी देश अथवा स्थान में रहते हो।
- वे स्त्रियां जो भारतीय नागरिकों के साथ विवाह करें।
- भारतीय नागरिक के अल्प वयस्क बच्चे।
4. देसीकरण द्वारा नागरिकता
- कोई भी विदेशी नागरिक भारत सरकार को आवेदन करके भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकता है। लेकिन इसके लिए कुछ शर्तों की योग्यता अनिवार्य है जो निम्नलिखित है:-
- वह जिस देश का नागरिक है, उसकी नागरिकता का त्याग।
- संबंधित देश में निश्चित अवधि तक निवास करना।
- वह सच्चरित्र हो।
- आवेदन पत्र प्रस्तुत करने के तत्काल पूर्व कम से कम 1 वर्ष भारत में निवास किया हो।
- संविधान में उल्लेखित भाषाओं में से किसी भी एक भाषा का पर्याप्त ज्ञान होना।
- राष्ट्र के प्रति सकारात्मक आस्था का होना।
- परंतु इस अधिनियम में एक ऐसा विशेष उपबंध शामिल किया गया है जिसके अनुसार यह छूट दी गई है कि यदि कोई व्यक्ति विज्ञान, दर्शन, कला, साहित्य, विश्व शांति अथवा मानव विकास के क्षेत्र में विशेष कार्य कर चुका हो, तो उसे इन सभी शर्तों को पूर्ण किए बिना विदेशी करण द्वारा नागरिकता प्रदान की जा सकती है।
- यदि कोई अन्य राज्य क्षेत्र भारत का भाग बन जाता है तो भारत सरकार यह है विनिदृष्टि करेगी की उस क्षेत्र के व्यक्ति भारत के नागरिक होंगे।
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