मिट्टियां
भारत में मुख्य रूप से आठ प्रकार की मिट्टियां पाई जाती है,
1.Alluvial Soil (जलोढ़ मिट्टी)
उत्तर भारत के विशाल मैदानों में यह मिट्टियां नदियों द्वाराला कर जमा की गई है तथा समुद्री तटों पर समुद्री लहरों द्वारा यह मिट्टी दो उपवर्गो में बटी हुई है। नई जलोढ़ मिट्टी(खादर) एवं पुरानी जलोढ़ मिट्टी (बांगर)। धान, गेहूं, दलहन, तिलहन, गन्ना एवं जूट की खेती के लिए यह मिट्टी बहुत उपयुक्त है।
यह मिट्टी मुख्यत: ढक्कन के अलावा क्षेत्र में पाई जाती है, इस मिट्टी का रंग गहरा काला होता है क्योंकि इसमें लोहा, एल्युमीनियम और मैग्नीशियम की मात्रा अधिक होती है। इस मिट्टी के घने होते हैं। जिनके कारण नमी धारण करने की क्षमता अधिक होती है। किसका क्षेत्र महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटका और आंध्र प्रदेश में फैला हुआ है। यह मिट्टी कपास की फसल के लिए अच्छी होती है।
इसका निर्माण रवेदार आग्नेय शैल जैसे ग्रेनाइट तथा निस के विखंडन से हुआ है। कहीं-कहीं इसका रंग पीला, भूरा, चॉकलेटी और काला भी पाया जाता है।रंग की विभिन्नता का कारण लोहे के अंश की विभिन्नता है। मुख्य रूप से यह मिट्टी दक्षिणी भारत में मिलती है। मिट्टी की प्रधान उपज ज्वार-बाजरा, दलहन, तंबाकू आदि है।
इसका निर्माण मानसूनी जलवायु के विशेष लक्षण आदर्श एवं शुष्क मौसम के क्रमिक परिवर्तन के कारण निक्षालन की प्रक्रिया (leaching away) द्वारा होता है। इसमें सिलिका की कमी होती है। इसमें लोहे तथा एल्यूमिनियम अधिक होता है।ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मिलने वाली लेटराइट निम्न क्षेत्र में पाई जाने वाली डेट्राइट की तुलना में ज्यादा अम्लीय (acidic) होती है। यह मिट्टी झारखंड के राजमहल, पूर्वी और पश्चिमी घाटों के क्षेत्रों, एवं मेघालय के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई आती है। असम तथा पश्चिम बंगाल के उत्तरी भाग में भी यह मिट्टी पाई जाती है। इसकी प्रधान उपज चाय, कॉफी आदि है।
अरावली श्रेणी के पश्चिम में जलवायु की शिष्टता तथा भीषण ताप के कारण नग्न चट्टानों का विखंडन होकर यह मिट्टी बनती है। यह मिट्टी राजस्थान तथा हरियाणा की दक्षिण पश्चिम भाग में पाई जाती है। इसमें सिंचाई की उपलब्धता के द्वारा कृषि कार्य संभव है।
इस प्रकार की मिट्टी अधिकांशत: वनों एवं पर्वतीय क्षेत्रों में मिलती है। ये मिट्टियां उन क्षेत्रों को घेरती है जहां या तो पर्वतीय ढाल हो या वन क्षेत्रों में घाटियां हो। इसमें जैविक पदार्थों तथा नाइट्रोजन की अधिकता होती है।
यह हिमाचल के पर्वतीय भागों, तमिलनाडु, कर्नाटक, मणिपुर आदि जगहों पर मिलती है।
7.Saline and Alkaline Soil (लवणीय एवं क्षारीय मिट्टी)
ये अनुर्वर एवं अनुत्पादक रेह, ऊसर एवं कल्लर के रूप में भी जानी जाती है। यह मिट्टियां अपने में सोडियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम समाहित करती है।
उत्तरी भारत के सूखे एवं अर्द्ध सूखे क्षेत्रों, य यथा-पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा,राजस्थान तथा बिहार के कुछ हिस्सों में इस मिट्टी का विस्तार है।
उच्च घुलनशील लवण एवं जैविक पदार्थों से युक्त पीट मिट्टी केरल के अलप्पी व कोट्टायम जिले, बिहार के पूर्वोत्तर भाग, तमिल नाडु, उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल के कुछ क्षेत्रों में मिली है। इसमें पोटाश और फॉस्फेट की कमी होती है।
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