*मिश्रा की सभ्यता:-
मिस्र की सभ्यता का प्रारंभ 3400 ई० पू ० मैं हुआ।
मिस्र को नील नदी की देन कहा गया है। मिश्र के बीच में नील नदी बहती है, जो मिश्र की भूमि को उपजाऊ बनाती है।
यह सभ्यता प्राचीन विश्व की अति विकसित सभ्यता थी इस सभ्यता ने विश्व की अनेक सब बताओ को पर्याप्त रूप से प्रभावित किया है।
सामाजिक जीवन में सदाचार का महत्व इसी सभ्यता से प्रसारित हुआ है।
सामाजिक जीवन की सफलता के लिए उन्होंने नैतिक नियमों का निर्धारण किया।
मिस्र के राजा को फराओ कहा जाता था। उसे ईश्वर का प्रतिनिधि तथा सूर्य देवता का पुत्र माना जाता था।
पिरामिड को बनाने का श्रेय फराओ जोसर के वजीर इमहोटेप को है।
मृतकों के शवों को सुरक्षित रखने के लिए शव पर रासायनिक द्रव्यों का लेप लगाया जाता था। ऐसे मृतक के शरीर को ममी कहा जाता था।
शिक्षा के क्षेत्र में सर्वप्रथम व्यवस्थित विद्यालय को प्रयोग यही हुआ था और यहीं से अन्यत्र प्रचलित हुआ।
विज्ञान के क्षेत्र में मिश्र वासी विश्व में आगे समझे जाते हैं। रेखा गणित में जितना ज्ञान उन्हें था उतना विश्व के अन्य लोगों को नहीं था।
कैलेंडर से बताओ यही तैयार हुआ,सूर्य घड़ी एवं जल घड़ी का प्रयोग में सर्वप्रथम यही हुआ।
अमहोटेप चतुर्थ (1375ईसा पूर्व से 1358ईसा पूर्व) मानव इतिहास का पहला सिद्धांत वादी शासक था उसे आखनाटन के नाम से भी जाना जाता है।
*मेसोपोटामिया की सभ्यता
वर्तमान इराक अनेक सभ्यताओं का जन्मदाता रहा है। मिस्र सभ्यता के समकक्ष तथा समकालीन मेसोपोटामिया की सभ्यता विकसित हुई।
यूनानी भाषा में मेसोपोटामिया का अर्थ नदियों के बीच की भूमि होता है, यह सभ्यता दजला एवं फरात नदियों के बीच के क्षेत्र में विकसित हुई।
प्राचीन काल में दजला एवं फरात के बिल्कुल दक्षिणी भाग को सुमेर कहा जाता था। मेसोपोटामिया की सभ्यता का विकास सर्वप्रथम सुमेर प्रदेश में हुआ।
सुमेर के उत्तर-पूर्व भाग को बेबीलॉन (बाबुल) कहा जाता था।
नदियों के उत्तर की उच्च भूमि का नाम असीरिया था।
सुमेर, बेबीलॉन, तथा असीरिया सम्मिलित रूप से मेसोपोटामिया कहलाते थे।
सुमेरियओ ने एक बड़े ही सूसंगठित राज्यों की स्थापना की थी
धर्म मैं एवं मंदिर का विशिष्ट स्थान था।
बेबीलोनिया की सभ्यता
सुमेरियन लोगों ने जिस सभ्यता का निर्माण किया उसी के आधार पर बेबीलोनिया की सभ्यता का विकास हुआ।
निपुर इसका प्रमुख नगर था।
बेबीलोनिया का प्रसिद्ध शासक हम्बुराबी (2124 ईसा पूर्व से 2081ईसा पूर्व ) था जो एंब्राइट राज वंश का था।
धर्म का महत्वपूर्ण स्थान था लोग बहू देव आदि थे, मर्दुक सबसे बड़ा देवता समझा जाता था।
हम्बुरबी के शासनकाल में यह बेबीलोनिया का सांस्कृतिक उपनिवेश था।
आसीरिया की सबसे बड़ी देन उसकी शासन प्रणाली है।
असुर देवता राज्य का स्वामी माना जाता था,कथा राजा उसके प्रतिनिधि के रुप में शासन करता था।
हो नदी की घाटी में प्राचीन चीन की सभ्यता का विकास हुआ, स्थान चीन के उत्तरी क्षेत्र में स्थित है।
यह क्षेत्र विकास के अत्याधिक उपजाऊ क्षेत्र में से है,
ह्यूगो हो नदी को पीली नदी भी कहते हैं, इसीलिए चीन की प्राथमिक सभ्यता को"पीली नदी घाटी सभ्यता भी कहा जाता है।
इस दौरान चीन में वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण उन्नति हुई।
कागज एवं छपाई का आविष्कार चीन की देन है।
भूकंप का पता लगाने वाले यंत्र सिस्मोग्राफ का आविष्कार चीनी वासियों ने ही किया था।
हुआंग टी (लगभग 2700ईसा पूर्व) की पत्नी ली जू ने पहले पहला चीनी लोगों को रेशम के कीड़ों का पालन सिखाया।
रेशम के हल्के वस्तुओं का निर्माण एवं प्रयोग सर्वप्रथम चीन में ही हुआ।
शी - हुआंग टी (लगभग 247 ई ०पू०) ने समस्त चीन को एक राजनीतिक सूत्र में आबद्ध किया।
चीन वंश के नाम पर ही पूरे देश का नाम चीन पड़ा।
राजा को वांग कहा जाता था।
पुच्छल तारा सर्वप्रथम चीन में ही 240 ईसवी मैं देखा गया था।
दिशा सूचक यंत्र का आविष्कार चीन में ही हुआ।
चीन के लोगों ने ही सर्वप्रथम यह पता लगाया था कि वर्ष में 365 1/4 दिन होते हैं।
पेय पदार्थ के रूप में चाय का सर्वप्रथम प्रयोग चीन में ही प्रारंभ हुआ।
यूनान की सभ्यता को यूरोपीय सभ्यता का उद्गम स्थल माना गया है।
क्रीट की सभ्यता प्राचीन यूनानी सभ्यता की जननी कही जाती है।
क्रीट की राजधानी नासौस थी।
1200ईसा पूर्व आर्यों की डोरियन शाखा ने यूनान में प्रवेश कर वहां अपना प्रभुत्व जमा लिया।
यूनान को हेलस भी कहा जाता था। इसलिए उसकी पुरानी सभ्यता 'हेलनिक सभ्यता'भी कहलाती है।
पर्वतीय प्रदेश होने के कारण यूनान छोटे-छोटे राज्यों में विभक्त हो गया। विभिन्न नगर राज्यों में स्पोर्ट्स और एथेंस अधिक प्रभावशाली थे।
जिस युग में महान कवि होमर ने अपने दो महाकाव्य ईलियड तथा ओडिसी की रचना कि उसे होमर युग यूनान कहां जाता है।
सिकंदर कालीन युग को हेलेनिस्टिक युग कहा जाता है।
सिकंदर मेसिडोनिया के राजा फिलिप का पुत्र था।
अरस्तु ने सिकंदर को शिक्षा प्रदान की थी।
भारत पर आक्रमण के क्रम में 326 ई ० पू ०मैं झेलम नदी के तट पर उसने राजा पोरस को हराया था।
सुकरात, प्लेटो और अरस्तू प्राचीन यूनान के प्रमुख विचारक और दार्शनिक थे।
रोम की सभ्यता का विकास यूनानी सभ्यता के उपकर्श के बाद हुआ रोमन सभ्यता का केंद्र राम नामक नगर था, इटली में स्थित है।
यह यूनानी सभ्यता से प्रभावित थे।
इटली में एक उन्नत सभ्यता को विकसित करने का श्रेय एट्रस्कान का नामक एक अनआर्य जाति को है।
जूलियस सीजर रोम के साम्राज्य का बिना ताज का बादशाह था, इसकी गणना विश्व की सर्वश्रेष्ठ सेनापतियों में की जाती है
जुलियस सीजर ने 365 दिनों का वर्ष बनाया
आधुनिक अस्पतालों का संगठन की कल्पना रोमन सभ्यता की देन है।
रोमन दर्शन एवं धर्म ने विश्व सभ्यता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला,
जहां धर्म का संबंध है ईसाई धर्म का प्रसार रोम की देन है। रोम का पॉप कालांतर में संपूर्ण यूरोप की राजनीति का संचालक बन गया। रोम की राष्ट्रभाषा"लैटिन"की महत्ता उसके विस्तृत प्रभाव से स्पष्ट परिलक्षित होती है, अंग्रेजी भाषा एवं साहित्य का जो स्वरूप आज उपलब्ध है, वह लैटिन भाषा की ही देन है।
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