मानव नेत्र
नेत्र प्रकाश संवेदी अंग है, नेत्र गोलक मुख्यतः तीन स्तरों का बना होता है,
Sclerotic:-
द्रढ पटल तथा अपारदर्शी भाग
Choroid
यह कोमल संयोजी ऊतक का बना होता है, इसमें रंग कणिकाएं होती है, रंगा कणिकाएं खरगोश में लाल, मनुष्य में काली, भुरी या नीली होती है,
सबसे भीतरी परत है जो संवेदी होती है, कॉर्निया एक पतली, पारदर्शी तरफ से ढका होता है, जिसे Conjunctive कहते हैं, यह प्रकाश को दृष्टि पटल पर केंद्रित करता है,
आइरिश, वर्तुल, सर्कुलर पेशियां circular muscles एवं अरिय प्रसादी पेशियों से बना होता है।
Iris पुतली के आकार को नियंत्रित करता है ,
पुतली (pupil) iris के बीच में स्थित काला छिद्र है, जिसके द्वारा प्रकाश नेत्र गोलक में प्रवेश करता है,
कॉर्निया एवं लेंस के बीच का भाग तेजोजल या aqueous humour द्वारा भरा होता है।
लेंस एवं रेटिना के मध्य की गुहा मैं काचार जल या Vitreous Humour भरा होता है।
दृष्टि पटल retina एक तंत्रिका ऊतक की परत एवं एक वर्णक परत का बना होता है, किसी भी वस्तु का चित्र दृष्टि पटल पर बनता है।
शलंकाए लंबी, बेलानकर एवं तंतुमय होती है, जबकि शंकु छोटे एवं मोटे होते है।
शालकाए कम प्रकाश के अंक संवेदी होती है, इनमें लाल गुलाबी वर्णक, redopseon पाया जाता।
शंकु तेज प्रकाश के लिए संवेदी होते हैं, तथा रंगों में अंतर उत्पन्न करते हैं।जैसे:- लाल, हरा, नीला आदि
पित्त बिंदु ( yellow spot) दृष्टि पटेल के ठीक मध्य में स्थित होता है, यहां वस्तु का प्रतिबिंब सबसे स्पष्ट बनता है, पित बिंदु की महीन रेटिना मेकुला लुटिया कहलाती है।
पित बिंदु के मध्य में केंद्रका श्वेत या फॉर्विया सेट्रोलिस, होता है, इसमें केवल दृष्टि शंकु उपस्थित होते हैं।
अंध बिंदु blind spot पर शलाका व शंकु अनुपस्थित होते हैं, यहां कोई प्रतिबिंब नहीं बनता।
टेपिटम लयुसीडंम , जस्ता, ग्वानिन का बना होता है ।
मांसाहारी जंतु, जैसे बिल्ली, कुत्ता,शेर आदि की आंखें टेपिटम लूसीडम के कारण रात में चमकती है।
पीले हरे रंग के लिए आंखे सबसे अधिक संवेदी होती है।
मधुमक्खियां पराबैगनी किरणे देख सकती है जबकि गिद्ध में सबसे तीव्र दृष्टि पाई जाती है।
दृष्टि पटल पर प्रतिबिंब सत्य एवं उल्टा (Real and inverted) बनता है।
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