संसद: लोकसभा
संघीय संसद का निम्न अथवा लोकप्रिय साधन है
लोकसभा की अधिकतम सदस्य संख्या (530+20+2)
552 हो सकती है। वर्तमान में इसकी व्यवहारिक सदस्य संख्या (530+13+2)=545 हैं।
84 वें संविधान संशोधन अधिनियम 2001 के अनुसार लोकसभा एवं विधानसभा की सीटों की संख्या में सन 2026 तक कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा।
निर्वाचको को की योग्यता
लोकसभा के चुनाव में उन सभी व्यक्तियों को मतदान का अधिकार होगा जो भारत के नागरिक है, जिनकी आयु 18 वर्ष या अधिक है, जो पागल के दिवालिया नहीं है, और जिन्हें संसद के कानून द्वारा किसी अपराध भ्रष्टाचार या गैरकानूनी व्यवहार के कारण मतदान से वंचित नहीं कर दिया गया है।
•वह व्यक्ति भारत का नागरिक हूं
•उसकी आयु 25 वर्ष या इससे अधिक हो।
•भारत सरकार अथवा किसी राज्य सरकार के अंतर्गत गया कोई लाभ का पद धारण ना किए हुए हो ।
•वह किसी न्यायालय द्वारा दिवालिया न ठहराया गया हो तथा पागल ना हो। वह संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून द्वारा अयोग्य नहीं ठहराया गया हो।
•संसद के कानून द्वारा निर्धारित अन्य योग्यताएं हो ।
•कोई भी सदस्य संसद की सदस्यता से वंचित किया जा सकता है यदि:-
*वे स्वेच्छा से उस दल की सदस्यता त्याग देता है ।
जिस के टिकट से वह सदन का सदस्य निर्वाचित हुआ था।
*वे पार्टी के निर्देशक के विरुद्ध वोट देता है अथवा वोट देने नहीं जाता ।
*वह बिना बताए 60 दिन तक सदन से अनुपस्थित रहता है।
कार्यकाल:-
लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष है किंतु प्रधानमंत्री के परामर्श के आधार पर राष्ट्रपति के द्वारा लोकसभा को समय से पूर्व भी भंग किया जा सकता है।
आपातकाल की घोषणा लागू होने पर संसद विधि द्वारा लोकसभा के कार्यकाल में वृद्धि कर सकते हैं जो एक बार में 1 वर्ष से अधिक नहीं होगी।
लोकसभा और राज्यसभा के अधिवेशन राष्ट्रपति के द्वारा ही बुलाया और स्थगित किए जाते हैं।
इस संबंध में नियम केवल यह है कि लोकसभा की दो बैठकों में छह माह से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए।
*पदाधिकारी
लोकसभा स्वयं ही अपने सदस्यों में से एक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का निर्वाचन करेगी। इनका कार्यकाल लोकसभा के कार्यकाल तक अर्थात समय से पूर्व भंग ना होने की स्थिति में 5 वर्ष होता हैपरंतु इस अवधि के अंदर अध्यक्षता उपाध्यक्ष स्वेच्छा से अपने पदों से त्यागपत्र दे सकते हैं तथा उन्हें उनके पद से लोकसभा द्वारा दो तिहाई मत से पारित प्रस्ताव द्वारा हटाया भी जा सकता है।
*संविधान संशोधन संबंधी शक्ति
*लोकसभा तथा राज्यसभा मिलकर राष्ट्रपति तथा सर्वोच्च न्यायालय उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के विरुद्ध महाभियोग का प्रस्ताव पास कर सकती हैं।
*राज्यसभा द्वारा पारित उपराष्ट्रपति और पद की न्युक्ति के प्रस्ताव पर लोकसभा का अनुमोदन आवश्यक है
*राष्ट्रपति द्वारा की गई संकट काल की घोषणा को एक माह के अंदर संसद से स्वीकृत होना आवश्यक है।
संसद सदनों के विशेषाधिकार:-
संसद के साधनों को कुछ विशेषाधिकार प्राप्त है जो कि इस प्रकार हैं:-
- सदस्यों को दीवानी मामलों से में संसद की बैठक से 40 दिन पूर्व तथा 40 दिन बाद बंदी नहीं बनाया जा सकता।यह सुविधा उन्हें फौजदारी मामलों तथा निवारक निरोध अधिनियम के विरुद्ध उपलब्ध नहीं हैं।
- सदन द्वारा निर्मित नियमों के अंतर्गत उन्हें सदन में भाषण की पूर्ण स्वतंत्रता हैसदस्य सर्वोच्च न्यायालय का उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के व्यवहार के बारे में चर्चा नहीं कर सकते।
- सदन की अनुमति के बिना, संसद के अधिवेशन के दौरान, किसी भी सदस्य को गवाही देने के लिए नहीं कहा जा सकता
- संसद के किसी भी सदन के आदेशानुसार छापी गई किसी रिपोर्ट, पर्चे अथवा कार्यवाही के लिए उनके विरुद्ध न्यायालय में कार्यवाही नहीं की जा सकती।
- संसद के सदस्य जूरी के सदस्य के रूप में कार्य करने की जिम्मेदारी से भी मुक्त है।
संसद के सत्र राष्ट्रपति द्वारा सुरक्षा से बुलाए जाते हैं परंतु दो सत्रों के बीच 6 मार्च के अधिक अंतर नहीं होना चाहिए:-
*सामान्यतः सदन की वर्ष मैं 3 बैठके (सत्र) होते हैं:
•बजट सत्र:-फरवरी- मई, सबसे लंबा सत्र
•मानसून सत्र:-जुलाई-अगस्त
•शीतकालीन सत्र:-नवंबर-दिसंबर, सबसे छोटा सत्र
*सदन का स्थगन : सदन को स्थगित करने का अधिकार राष्ट्रपति को प्राप्त है, इसकेेेेे फलस्वरूप सदन का केवल सत्र समाप्त होता है, जीवन नहीं।
*सदन को भंग करना:-भारत में केवल लोकसभा को भंग किया जा सकताा है, लोकसभा को बंद करने की शक्ति राष्ट्रपति के पास है जो इसका प्रयोग प्रधानमंत्री से परामर्श से करते हैं, जब लोकसभा को भंग किया जाता है तो कोई भी विधेयक जो इसके विचाराधीन होते हैं अपनेेे आप समाप्त्त हो
जाता है।
संयुक्त बैठक (joint session)
राष्ट्रपति को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाने का अधिकार है । इस प्रकार की संयुक्त बैठक A3 परिस्थितियों में बुलाई जा सकती है:-
•प्रथम, एक सदन द्वारा पारित विधेयक दूसरे सदन द्वारा अस्वीकार कर दिया जाए,
•दूसरा, किसी भी विधायक में एक सदन द्वारा सुझाए गए संशोधन दूसरे सदन को स्वीकार ना हो,
•तीसरा,एक सदन द्वारा पारित विधेयक जब दूसरे सदन के पास भेजा जाए और वह उस पर छह माह तक कोई कार्यवाही ना करें।
इस तरह की संयुक्त बैठक को की अध्यक्षता लोकसभा के स्पीकर द्वारा की जाती है, तथा सभी निर्णय उपस्थित सदस्यों के बहुमत से लिए जाते हैं,
जब से संविधान लागू हुआ है दोनों सदनों का संयुक्त अधिवेशन केवल तीन बार बुलाया गया है:-1961,1978,2002में, दोनों सदनों का अंतिम संयुक्त अधिवेशन मार्च 2002 में POTA (prevention of terrorism act) पारित करने के लिए बुलाया गया।
•ध्यानाकर्षण प्रस्ताव:-अध्यक्ष की अनुमति से जब कोई संसद सदस्य किसी मंत्री का ध्यान सार्वजनिक हित की दृष्टि से अत्यावश्यक विषय की ओर आकर्षित करना है तो उसे ध्यानाकर्षण प्रस्ताव किया गया है ।
•विशेषाधिकार प्रस्ताव:-यदि किसी मंत्री ने तथ्यों को छिपाकर या गलत जानकारी देकर संसद सदस्यों के विशेषाधिकार का हनन किया है तो संसद सदस्य मंत्री के विरुद्ध'विशेषाधिकार प्रस्ताव'रख सकते हैं ।
•कार्य स्थगन प्रस्ताव:-जब कोई विशेष घटना घटती हो या देश में कोई विशेष स्थिति उत्पन्न हो जाए तो संसद सदस्य प्रस्ताव कर सकते हैं कि सदन की वर्तमान कार्यवाही को स्थगित कर इस विशेष घटना,स्थिति या प्रश्न पर ही विचार किया जाना चाहिए इससे ही कार्य स्थगन प्रस्ताव कहते हैं ।
•कटौती प्रस्ताव:-बजट की मांगों में कटौती हेतु रखे गए प्रस्ताव को कटौती प्रस्ताव कहते हैं, इस प्रस्ताव को विचार के लिए स्वीकृति देना अध्यक्ष के सो विवेक पर निर्भर करता है।
•निंदा प्रस्ताव:-शासन या किसी विशेष मंत्री द्वारा अपनाई गई नीति या उसके कार्यों की आलोचना करने के लिए'निंदा प्रस्ताव'लाया जाता है ।
•अविश्वास प्रस्ताव:-अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में विपक्षी दल या दलों द्वारा प्रस्तुत किया जा सकता है यदि लोकसभा के कम से कम 50 सदस्य प्रस्ताव का समर्थन करते हो तो अध्यक्ष उसे विचार हेतु शिकार करते हैं यदि लोकसभा अपने बहुमत से अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दे तो मंत्री परिषद को त्यागपत्र देना होता है ।
संसद में सामान्य प्रक्रिया:-
•प्रश्नकाल:-आमतौर पर प्रतिदिन सदन की कार्यवाही का प्रथम घंटा (11से 12बजे ) प्रश्नकाल होता है ।
•इस काल में प्रश्नों के माध्यम से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय, सभी बातों के संबंध में सूचना प्राप्त की जा सकती है। प्रश्न तीन प्रकार के होते हैं:-
तारांकित प्रश्न:-धारा सदस्य सदन में मौखिक उत्तर चाहता हैं।
अतारांकित प्रश्न:-की स्थिति में संबंध मंत्री द्वारा सदन के पटल पर लिखित उत्तर रखा जाता है ।
अल्प सूचना प्रश्न:-का संबंध लोक महत्व के किसी तत्कालीन मामले से होता है, जो किसी प्रश्न के लिए निर्धारित समय की सूचना की अपेक्षा कम समय की सूचना पर पूछा जा सकता है ।
*शून्यकाल
सामान्यता: प्रश्नकाल के बाद लगभग 1 घंटे का समय (12से 1बजे ) शून्यकाल के रूप में रखा जाता है इस समय में विचार के लिए विषय पहले से निर्धारित नहीं होते इस समय में बिना पूर्व सूचना के सदस्य द्वारा सार्वजनिक हितों का ऐसा कोई भी प्रश्न उठाया जा सकता है जिस पर तुरंत विचार आवश्यक समझा जाए।
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