सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Tsunami

 सुनामी:-

समुद्री तूफान:-को जापानी भाषा में सुनामी (जापानी आईपीए/su na mi/अथवा आईपीए/tsu na mi) बोलते हैं,
यानी बंदरगाह के निकट की लहर दरअसल यह बहुत लंबी यानी सैकड़ों किलो मीटर चौड़ाई वाली होती है, यानी की लहरों के निचले हिस्से के बीच का फासला सैकड़ों किलोमीटर का होता है।
पर जब यह तट के पास आती है तो लहरों के निचले हिस्से के बीच का फासला सैकड़ों किलोमीटर का होता है पर जब यह पद के पास आती है तो लहरों का निचला हिस्सा जमीन को छूने लगता है:
इनकी गति कम हो जाती है और ऊंचाई बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में जब यह तक से टक्कर मारते हैं तो तबाही होती है,गति 420 किलोमीटर प्रति घंटे तक और ऊंचाई 10 से 18 मीटर तक यानी खारे पानी की चलती दीवारें अक्सर समुद्री भूकंप की वजह से यह तूफ़ान पैदा होता है,
प्रशांत महासागर में यह तूफान एक आम बात है और बंगाल की खाड़ी, हिंद महासागर में अरब सागर में नहीं। इसलिए शायद भारतीय भाषाओं में इनके लिए विशिष्ट नाम नहीं है।
कारण
सुनामी लहरों के पीछे वैसे तो कई कारण होते हैं लेकिन सबसे ज्यादा असरदार कहां पर है भूकंप इसके अलावा जमीन धंसने ज्वालामुखी फटने,किसी तरह का विस्फोट होने और कभी-कभी उल्कापात के असर से भी सुनामी लहरें उठती हैं।
भूकंप
जब कभी भीषण भूकंप की वजह से समुंद्र की ऊपरी परत अचानक खिसक कर आगे बढ़ जाती है,तो समुंदर अपने समांतर स्थिति में ऊपर की तरफ बढ़ने लगता है। जो लहरें उस वक्त बनती है वह सुनामी लहरें होती हैं।
इसका एक उदाहरण हो सकता है, की धरती की ऊपरी परत फुटबॉल की तरह से है जिसमें दरारें हो।
पहले सुनामी को समुद्र में उठने वाले दान के रुप में भी लिया जाता रहा है, लेकिन ऐसा नहीं है, दरअसल समुद्र में लहरें चांद सूरज और ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से उठती है, लेकिन सुनामी लहरें इन आर्म लहरों से अलग होती हैं।
जैसे अंडे का खोल सख्त होता है लेकिन उसके भी तरीका पदार्थ है लिख लेबा और गीला होता है, भूकंप के असर से यह धरा रे छोरी होकर अंदर के पदार्थ इतने हलचल पैदा करते हैं कि वह तेजी से ऊपर की तरफ का रुख कर लेती है, धरती की परतें भी जब किसी भी असर से चोरी होती है तो वह कि सकती है, जिसके कारण वादी बनते हैं। तो इस तरह यह सुनामी लहरें बनती है,लेकिन यह भी जरूरी नहीं है कि हर भूकंप से सूनामी लहरें बने।
इसके लिए भूकंप का केंद्र समुद्र के अंदर या उसके आसपास होना जरूरी है।
तट आगमन पर प्रभाव
जब ये सुनामी लहरें किसी भी महाद्वीप की उस परत के उठले पानी तक पहुंचती है।
जहां से वह दूसरे महाद्वीप से जुड़ा है और जो कि एक दरार के रूप में देखा जा सकता है।
वह इसीलिए क्योंकि उस जगह दूसरा महाद्वीप भी जुड़ रहा है,और वे धरती की जुड़ी हुई पर की वजह से दरा जैसी जो जगह होती है वह पानी को अपने अंदर रास्ता देती है,
लेकिन उसके बाद भीतर के पानी के साथ मिलकर जब सुनामी किनारे की तरफ ऊपर उठ सकती है, और उसके रास्तों में चाहे पेड़ जंगल इमारतें कुछ भी आए सब कुछ खत्म कर देती है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

शास्त्रीय नृत्य

भारत के प्रमुख शास्त्रीय नृत्य भारत में सबसे महत्वपूर्ण मुख्य: 7 भागों में बांटा गया है:- *भरतनाट्यम:- यह तमिलनाडु का प्रमुख शास्त्रीय नृत्य है,जिसे कर्नाटक संगीत के माध्यम से एक व्यक्ति प्रस्तुत करता है, यहां भ का अर्थ भाव से,र का अर्थ राग से, त का अर्थ ताल से, और नाट्यम का अर्थ थिएटर से है। यह नृत्य पहले मंदिरों मैं प्रदर्शित होता था। *कथकली:- यह केरल का प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य है, इसमें कलाकार स्वयं गाता नहीं है, बल्कि एक विशेष लय एवं राग के संगीत पर नृत्य करता है, नाटक की कथावस्तु अधिकांश: महाकाव्य एवं पौराणिक कथाओं पर आधारित है। कथकली का शाब्दिक अर्थ है, किसी कहानी पर आधारित नाटक। *कुचिपुड़ी:- यह आंध्र प्रदेश का नाट्य नृत्य है। कुचिपुड़ी नामक गांव के नाम पर ही इसका नाम पड़ा, इसमें अनेक कथनको (धार्मिक या पौराणिक) पर नृत्य होता है। *ओडिसी:- यह उड़ीसा का प्राचीन नृत्य है, यह पूर्णता आराधना का नृत्य है, इसमें नृत्य के माध्यम से संपन्न का भाव लिए, नृत्य की ईश्वरीय स्तुति करती हैं। *कथक:- यह मूल्यत: उत्तर भारत का शास्त्रीय नृत्य है। 13वीं शताब्दी के संगीत रत्नाकर ग्रंथों में कत्थक शब्...

Lithosphere (स्थलमण्डल)

  स्थलमण्डल यह पृथ्वी की कठोर भूपर्पटी की सबसे ऊपरी सतह है। इसकी मोटाई महाद्वीप और महासागरों में भिन्न-भिन्न होती है। (35-50 किलोमीटर महाद्वीपों में 6-12 किलोमीटर समुद्र तल में)। चट्टाने पृथ्वी की सतह का निर्माण करने वाले पदार्थ चट्टान या श शैल कहलाते हैं। बनावट की प्रक्रिया के आधार पर चट्टानों को तीन भागों में विभाजित किया जाता है। 1. आग्नेय चट्टान यह चट्टाने सभी चट्टानों में सबसे ज्यादा (95%) मिलती है । इनका निर्माण ज्वालामुखी उद्गार के समय निकलने वाला लावा के पृथ्वी के अंदर या बाहर ठंडा होकर जम जाने से होता है। यह प्राथमिक चट्टाने कहलाती है क्योंकि बाकी सभी चट्टानों का निर्माण, इन्हीं से होता है। उत्पत्ति के आधार पर यह तीन प्रकार की होती है:- 1. ग्रेनाइट (Granite) इन चट्टानों के निर्माण में मैग्मा धरातल के पन्ना पहुंचकर अंदर ही जमकर ठोस रूप धारण कर लेता है।मेघा के ठंडा होने की प्रक्रिया बहुत धीमी होती है क्योंकि अंदर का तापमान अधिक होता है और बनने वाले क्रिस्टल काफी बड़े होते हैं। 2. बेसाल्ट (basalt) यह समुद्री सदैव पर पाई जाती है 3. ज्वालामुखिय(volcanic) ज्वालामुखी विस्फोट के क...

Periodic table

  आवर्त सारिणी (periodic table) तत्वों का वर्गीकरण:-(classification of element) *सन् 1869 में एशियन वैज्ञानिक मेंडलीफ ने तत्वों का प्रथम आवर्त वर्गीकरण दीया । *तत्वों के गुण, उनके परमाणु भार ओके आवर्ती फलन है। *मेंडलीफ के समय में 63 ज्ञात तत्व थे जिन्हे उन्हें सात आवर्तो (क्षतिज कॉलमो) तथा 8 वर्गो (खड़े कॉलमो) मैं बाटा। *आधुनिक आवर्त नियम के अनुसार तत्वों के गुण उनके परमाणु क्रमांक आवर्ती फलन है। *मेंडलीफ की संशोधित आवर्त सारणी को 18 खड़े कॉलम (जिन्हें समूह कहते हैं) तथा सात क्षतिज कोलंमो(जिन्हें आवर्ट हैं) मैं बांटा गया। आवर्त के समय लक्षण:- प्रत्येक आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर तत्वों में संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या 1 से 8 तक बढ़ती है। आवर्ता में तत्वों को बढ़ते हुए परमाणु क्रमांक के अनुसार रखा गया है। आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर तत्वों की संयोजकता पहले एक से चार बढ़ती है, फिर 4 से 1 तक घटती हैं। आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर परमाणु का आकार घटता है। प्रत्येक आवर्त में बाएं से दाएं चलने पर तत्व का धनात्मक गुण घटता है। प्रत्येक आवर्त में बाएं से दाएं चलने पर परमाणु का आकार ...