Angel falls
एंगिल जलप्रपात विश्व का सर्वाधिक ऊंचा जलप्रपात है।यह वेनेजुला में स्थित है।(स्पेनी: salto Angel) गहंतम स्थान का जलप्रपात , या परकुपा -वेना जिसका अर्थ है 'उच्चतम बिंदु से जलप्रपात'वेनेजुएला का एक झरना है ।
इसकी ऊंचाई 979 मीटर (3,212फीट) और गहराई 807 मीटर (2,648फीट ) है।
अवस्थिति:- आयनटेपुई, कानाईमा राष्ट्रीय उद्यान वेनेज़ुला
प्रकार:-गोता
कुल ऊंचाई:- 979 मीटर (3212फीट)
प्रपातों की संख्या:-47
सबसे ऊंचा प्रपात खंड 807 मीटर
यह जलप्रपात वेनेजुएला के वॉलीबॉल राज्य के ग्रान सवाना क्षेत्र में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, कानाईमा राष्ट्रीय उद्यान मैं आयनटेपुई पर्वत से गिरता है।
जलप्रपात की ऊंचाई इतनी अधिक है कि पानी नीचे जमीन पर गिरने से पहले ही वाष्प बन जाता है, याद तेज हवा द्वारा धुंध के रूप में दूर ले जाया जाता है। जलप्रपात का आधार केरेप नदी से जुड़ा हुआ है। वैकल्पिक रूप से रियो गोया के रूप में ज्ञात जो कराओ नदी की सहायक नदी चुरून नदी से मिलती है ।
*नाम की उत्पत्ति
बीसवीं सदी में अधिकांश: इसे"एंजिल जलप्रपात के नाम से जाना गया"जबकि नाम जिमी एंजल के नाम पर रखा गया जो हवाई जहाज से जलप्रपात के ऊपर से गुजरने वाले प्रथम अमेरिकी विमान चालक थे।
इसका आम स्पेनिश नाम' साल्टो एंजल'है ।
जिसकी विपत्ति अंग्रेजी से हुई है, 2009 में राष्ट्रपति ह्यूगो चावेज़ ने इसका नाम बदलकर स्वदेशी पेमोन शब्दावली में' केरेपकुपाई मेरु'रखने के इरादे की घोषणा की, इसका अर्थ यह था कि देश के सबसे प्रसिद्ध सीमा चिन्ह का नाम स्वदेशी होना चाहिए । नाम परिवर्तन की व्याख्या को लेकर चावेज़ ने कहा कि'यह हमारा है बहुत समय पहले एंजल कभी यहां आए थे'यह स्वदेशी संपत्ति है ।
हालांकि उन्होंने बाद में कहा कि वे नाम परिवर्तन का आदेश नहीं देंगे। लेकिन केवल मेरु केरेकुपाई के प्रयोग का बचाव कर रहे थे। इस जलप्रपात को कभी-कभी चुरुन-मेरू के नाम से संदर्भित किया जाता है जिसका अर्थ है:-गरजता हुआ जलप्रपात है त्रुटिपूर्ण इस नाम का प्रयोग कानाइमा राष्ट्रीय उद्यान एक जलप्रपात के लिए किया जाता है।
पर्यटन:-
वेनेजुएला का एंजेल जलप्रपातपर्यटक को के मुख्य आकर्षण में से एक है लेकिन अभी भी जलप्रपात की यात्रा करना एक जटिल कार्य है, मैंने चला के सुंदर जंगल में यह जलप्रपात स्थित है और प्योरटो ऑर्डाज से विमान को कानाईमा कैंप पहुंचाना होता है जहां से जलप्रपात के नीचे की नदी की शुरुआत होती है।
सामान्य तौर पर नदी का दौरा जून से दिसंबर के बीच किया जाता है। जब पेनोम गाइडों द्वारा प्रयोग की जाने वाली लकड़ी की कुरीयार्स लिए नदी में प्राप्त गहराई होती है। शुष्क मौसम के दौरान(दिसंबर -मार्च) अन्य महीनों की तुलना में यहां कम पानी देखा जाता है।
अन्वेषण:-
सर वॉल्टर रेले ने जिस प्रकार से वर्णन किया था वह संभवत: एक टेपुई:-(मेज सदृश पहाड़) और उन्हें कभी कभी एंजल जलप्रपात देखने वाला यूरोपीय कहा जाता है। लेकिन इन दावों को बनावटी माना जाता है, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि जलप्रपात देखने वाला पहला यूरोपीय फ्रनार्डे डे बोरिया था। जो सैलरी और 17वीं सदी का एक स्पैनिश खोजकर्ता और राज्यपाल था। बाद में वेनेजुएला के खोजकर्ता सेचेज़ ला क्रूज़ द्वारा इसे 1912 खोजा गया लेकिन उसने अपनी खोज का प्रचार नहीं किया।16 नवंबर 1933 में अमेरिकी विमान चालक जिम्मी एंजल द्वारा हवाई जहाज से उनके ऊपर से गुजरने से पहले तक विश्व के अन्य भागों से इसके बारे में कोई नहीं जानता था हालांकि उस समय जिम्मी , अयस्क संस्तर की खोज कर रहे थे।
9 अक्टूबर 19 को वापसी के समय एंजेल ने अपने मेटल विमान कॉर्पोरेशन फ्लैमिंगो मोनोप्लेन एल रियो करोनी को आयनटेपुई के सबसे ऊपरी भाग में उतरने की कोशिश की लेकिन हवाई जहाज के पहियों के कीचड़दार जमीन में धसने के कारण विमान क्षतिग्रस्त हो गया और वे अपने तीन साथियों के साथ जिसमें उनकी पत्नी भी शामिल थी तेजी से नीचे छलांग लगाने के लिए मजबूर हो गए।उन्हें वापस अपने घर आने में करीब 11 दिनों का समय लगा लेकिन उनके साहस का प्रसार चारों तरफ हो गया था और एंजेल के सम्मान में जलप्रपात का नाम एंजल जलप्रपात रखा गया।
हेलीकॉप्टर से बाहर निकलने से पहले 33 वर्ष एक एंजेल का विमान टेपुई की चोटी पर रहा इस विमान को निकालने के बाद उसने मारके के उड़ान संग्रहालय में रखा गया और अब सिउड़ाड बोलीवर में हवाई अड्डे के सामने सड़क पर रखा गया है।
जलप्रपात से मिलने वाली नदी में पहुंचने वाला सबसे पहला मगरिबवासी लित्ववाई खोजकर्ता एलेक्सड्रेस लाईमें था, उसे देसी पिमोंन जनजाति में अलेजड्रो के नाम से भी जाना जाता है। 1949 में अमेरिका के पत्रकार रूथ रॉबर्टसन की अगुवाई में नेशनल ज्योग्राफिक सोसायटी के सर्वेक्षक द्वारा जलप्रपात की अधिकांश ऊंचाई का निर्धारण किया गया।
डेविड नोट द्वारा एक पुस्तक एंजेल्स फोर अयान तेपुई से लेकर जलप्रपात के शीर्ष तक की सफल चढ़ाई के इतिहास को बतलाती है।
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