संविधान सभा की संरचना
संविधान सभा में कुल 389 सदस्य थे जिनमें से 292 प्रांतीय विधानसभाओं से तथा 93 देशी रियासतों से आए थे। इनके अलावा 4 सदस्य चीफ कमिश्नर के 4 प्रांतों:- दिल्ली, अजमेर-मारवाड़, कुर्ग और ब्रिटिश बलूचिस्तान से निर्वाचित किए गए थे।
प्रत्येक प्रांतों तथा प्रत्येक भारतीय राज्यों को उनकी जनसंख्या का अनुपात में कुल स्थान आवंटित किया गए। मोटे तौर पर 10 लाख के लिए एक स्थान का अनुपात निर्धारित किया गया।
प्रत्येक प्रांतों की सीटों को जनसंख्या के अनुपात के आधार पर तीन प्रमुख समुदायो मुस्लिम, सिख और साधारण में बांटा गया।
प्रांतीय विधानसभा में प्रत्येक समुदाय के सदस्यों को एक संक्रमणीय मत से अनुपातिक प्रतिनिधित्व के अनुसार अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करना था।
देसी रियासतों के प्रतिनिधियों के चयन की पद्धति परामर्श से तय की जानी थी।
3 जून 1947 की योजना के तहत जब पाकिस्तान के लिए अलग संविधान सभा की स्थापना (16 जुलाई1947) की गई तो भारतीय संविधान सभा की सदस्य संख्या घटकर 299 रह गई जिनमें से 229 प्रांतीय विधानसभाओं का और 70 देशी रियासतों का प्रतिनिधित्व करते थे।
26 नवंबर, 1949 को संविधान पर हस्ताक्षर करने के समय इनमें से केवल 284 सदस्य ही उपस्थित थे।
बी०एन ०राव को संविधान सभा का संवैधानिक सलाहकार नियुक्त किया गया।
संविधान सभा का प्रथम अधिवेशन 9 दिसंबर 1946 को संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में प्रारंभ हुआ। डॉ सच्चिदानंद सिन्हा को सर्व समिति से अस्थाई अध्यक्ष चुना गया।
11 दिसंबर 1946 की बैठक में डॉ राजेंद्र प्रसादको सभा का स्थाई अध्यक्ष चुना गया।
13 दिसंबर 1946को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उद्देश्य प्रस्तावना प्रस्तुत कर संविधान की आधारशिला रखी।
संविधान के निर्माण का कार्य करने के लिए अनेक समितियां बनाई गई।
जिनमें सबसे प्रमुख डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में बनी 7 सदस्यों वाली प्रारूप समिति थी।
प्रारूप समिति में डॉक्टर अंबेडकर के अतिरिक्त सर्वश्री गोपालस्वामी , अल्लादिया कृष्णस्वामी अय्यर, के एम मुंशी, मोहम्मद सादुल्लाह, डीपी खेतान और इन् माधवराव अन्य सदस्य थे
संविधान को तैयार करने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन का समय लगा।
संविधान 26 नवंबर 1949 को बनकर तैयार हो गया, और इसी दिन इस पर अध्यक्ष के हस्ताक्षर हुए।
हालांकि संविधान 26 नवंबर, 1949 को तैयार हो गया था परंतु इसके अधिकतर भागों को26 जनवरी 1950 को लागू किया गया क्योंकि सन 1930 से ही संपूर्ण भारत में 26 जनवरी का दिन 'स्वाधीनता दिवस' के रूप में मनाया जाता था।इसीलिए 26 जनवरी 1950 को प्रथम गणतंत्र दिवस मनाया गया।
संविधान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी, 1950 को हुई और इसी दिन संविधान सभा द्वारा डॉ राजेंद्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति चुना गया।
नवनिर्मित संविधान में 395 अनुच्छेद, 22 भाग तथा 8 अनुसूचियां थी।
डॉ० भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान के जनक के रूप में जाना जाता है ।
ब्रिटिश:- संसदीय शासन, विधि निर्माण प्रक्रिया, एकल नागरिकता, संसदीय विशेषाधिकार, मंत्रिमंडल का लोकसभा के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व, औपचारिक प्रधान के रूप में राष्ट्रपति,
अमेरिका:- मौलिक अधिकार, उपराष्ट्रपति, स्वतंत्रता एवं निष्पक्ष न्यायालय का गठन एवं शक्तियां ,सर्वोच्च व उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाने की विधि।
कनाडा,1935एक्ट,:- संघात्मक व्यवस्था, अवशिष्ट शक्तियो का केंद्र के पास होना।
आयरलैंड:- नीति निर्देशक तत्व
जर्मनी, 1935एक्ट:- आपात उपबंध
सोवियत संघ (रूस):-मौलिक कर्तव्य, पंचवर्षीय योजना
फ्रांस:-गणतंत्र
ऑस्ट्रेलिया:- समवर्ती सूची, प्रस्तावना की भाषा, केंद्र राज्य के बीच संबंध तथा शक्तियों का विभाजन।
दक्षिण अफ्रीका:-संविधान संशोधन की प्रक्रिया ।
जापान:-कानून द्वारा स्थापित शब्दावली
मूल्यत: लिखित एवं निर्मित संविधान
लोक प्रभुता पर आधारित संविधान
विश्व का सबसे विशाल संविधान
समाजवादी तथा धर्मनिरपेक्ष राज्य
कठोरता और लचीलापन का समन्वय
एकता की ओर झुका हुआ संज्ञानात्मक शासन
एकल नागरिकता
न्यायपालिका की सर्वोच्चता तथा संसदीय सर्वोच्चता का सम्मिश्रण
मौलिक अधिकारों की व्यापकता
न्यायपालिका की सर्वोच्चता तथा संसदीय सर्वोच्चता का सम्मिश्रण
मौलिक अधिकारों की व्यापकता
राज जीक
नीति निर्देशक तत्वों की विवेचना
व्यस्क क मताधिकार
अल्पसंख्यकों तथा पिछड़े वर्गों के कल्याण की विशेष व्यवस्था
एक राष्ट्र भाषा
विश्व शांति एवं अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा का पक्षधर
भारत के संविधान से पूर्व एक प्रस्तावना दी गई है जो संविधान के उद्देश्य व आदर्शों की रूपरेखा प्रस्तुत करती है। यह प्रस्ताव में इस प्रकार है।"
"हम भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुसत्ता-संपन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष,लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के लिए तथा उनके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर 1949 ईस्वी को इस संविधान को अंगकृत, अधिनियमित करते हैं।
यह प्रस्तावना भारत को एक प्रभुसत्ता संपन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करते हैं। जिससे समस्त शक्ति जनता से प्राप्त होती है तथा जो अपने नागरिकों को सामाजिक आर्थिक तथा राजनीतिक न्याय प्रदान करना चाहता है। यह नागरिकों को विचार अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म व उपासना की स्वतंत्रता प्रदान करने का आश्वासन देते हैं तथा उन्हें समान स्थिति तथा अवसर प्रदान करती है।
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