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Circulatory system

परिसंचरण तंत्र(circulatory system)

उच्च, बहुकोशिकीय जंतुओं में आवश्यक पदार्थों की आपूर्ति एवं आवश्यक पदार्थों का बहिष्करण सीधे कोशिका द्वारा नहीं होता,इसीलिए इन्हें एक परिवहन तंत्र की आवश्यकता होती है जिसे परिसंचरण तंत्र कहते हैं।
परिसंचरण तंत्र के कार्य
Function of circulatory system
*यह पोषक पदार्थ जैसे:-ग्लूकोज, वसीय अम्ल,विटामिन आदि का अवशोषण केंद्र से शरीर के विभिन्न भागों तक परिवहन करता है ।
*यह नाइट्रोजनी पदार्थ जैसे:- अमोनिया, यूरिया,यूरिक अम्ल आदि का शरीर के विभिन्न भागों से उत्सर्जित अंग तक परिवहन करता है।
*यह हार्मोन का अन्त: स्त्रावी ग्रंथि से लक्ष्यी अंगों तक परिवहन करता है।
*यह फेफड़ों से शरीर की कोशिकाओं एवं उत्तको को तक ऑक्सीजन का परिवहन करता है ।
रुधिर परिसंचरण तंत्र
Blood circulatory system
रुधिर परिवहन तंत्र तीन अवयवों का बना होता है।
1) हृदय (heart)
यह मोटा, पेशीय रुधिर को शरीर में प्रवाहित करने वाला अंग है।
2) रुधिर नलिकाए(blood vessels)
रुधिर नलिकाए दो प्रकार की होती हैं
*धमनिया (arteries)
मोटी विद्युत रोधी नलिका ए जो रुधिर को हृदय से विभिन्न अंगों में पहुंच आती है। ये शरीर मैं गहराई में स्थित होती है। तथा इनमें वाल्व का अभाव होता है। फुफ्फुस धमनी, pulmonary artery के अतिरिक्त सभी धमनियों में ऑक्सी कृत (शुद्ध) रुधिर प्रवाहित होता है। धमनियों में रुधिर अधिक दाब एवं अधिक गति से बहता है।
*शिराए(veins)
यह पतली भक्ति वाली  रुधिर नलिकाए है जो विभिन्न अंगों से रुधिर को हृदय तक ले जाती है यह शरीर में अधिक गहराई में नहीं होती, तथा इनमें रुधिर की विपरीत गति को रोकने हेतु वाल्व पाए जाते हैं। इनमें रुधिर कम दाम एवं कम गति से बहता है। Pulmonary veins के तेरे के सभी शिराओं मैं ऑक्सीकृत रुधिर प्रवाहित होता है।
*वाहिनीया (capillaries)
यह सबसे पतली रुदीने निकाय है जो धमनियों को शिराओं से जोड़ती है। प्रत्येक वाहिनी चपटी कोशिकाओं की एक परत से बनी होती है। यह पोषक पदार्थ,गैस आदि पदार्थों का रुधिर एवं कोशिका के मध्य आधार प्रदान करने में सहायक है।
3) रुधिर (Blood)
यह लाल, संवहनी, संयोजी ऊतक है जिसमें रुधिर कणिकाएं, प्लाज्मा, हिमोग्लोबिन, प्लाजमा प्रोटीन आदि उपस्थित होती है।
रुधिर परिसंचरण तंत्र के प्रकार
Types of blood circulatory system
A) खुला परिसंचरण तंत्र (open circulatory system)
रुधिर कुछ समय के लिए रुधिर नलिका में उपस्थित रहता है तथा अंत में रुधिर नलिका उसे खुले स्थान में आ जाता है।
इस प्रकार का रुधिर परिसंचरण तिलचट्टा (कॉकरोच), प्रोन, किट, मकड़ी आदि में पाया जाता है ।
तिलचट्टे (कॉकरोच) मैं रुधिर परिसंचरण तंत्र 5 से 6 मिनट में पूर्ण होता है।
B) बंद परिसंचरण तंत्र (closed circulatory system)
*यह केंचुए, नेरिस, मलाका एवं सभी कशेरुकाओं में पाया जाता है।
*रुधिर बंद नलिकाओ मैं बहता है।
*रुधिर अधिक दाब एवं अधिक वेग से मेहता है
*पदार्थ का आदान-प्रदान उत्तक द्रव्य द्वारा होता है।

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