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Writs (न्यायिक अभिलेख)

 न्यायिक अभिलेख (writs)

1. बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeus Corpus)
कार्यपालिका में निजी व्यक्ति दोनों के विरुद्ध उपलब्ध अधिकार जो कि अवैध निरोध के विरुद्ध व्यक्ति को
सशरीर अपने सामने प्रस्तुत किए जाने का आदेश जारी करता है। न्यायालय दोनों पक्षों को सुनकर यह निर्णय लेती है कि निरोध उचित है अथवा अनुचित है।
2. परमादेश (mandamus)
इसका शाब्दिक अर्थ है'हम आदेश देते हैं'यह उस समय जारी किया जाता है जब कोई पदाधिकारी अपने सार्वजनिक कर्तव्य का पालन नहीं करता । इस रिट के माध्यम से उसे अपने कर्तव्य को पालन करने का आदेश दिया जाता है।
3. उत्प्रेषण  (Certiorari)
इसका शाब्दिक अर्थ है'और अधिक जानकारी प्राप्त करना'यह आदेश कानूनी क्षेत्राधिकार से संबंधित त्रुटियों अधीनस्थ न्यायालय से कुछ सूचना प्राप्त करने के लिए जारी किया जाता है ।
4. अधिकार प्रच्छ (Qua Warrranto)
जब कोई व्यक्ति ऐसे पदाधिकारी के रूप में कार्य करने लगता है जिसका कि वह वैधानिक रूप से अधिकारी नहीं है तो न्यायालय इस रेट द्वारा पूछता है कि वह किस आधार पर इस पद पर कार्य कर रहा है।इस प्रश्न का समुचित उत्तर देने तक वह कार्य नहीं कर सकता है।
5. प्रतिषेध (Prohibition)
यह तब जारी किया जाता है जब कोई न्यायिक अधिकरण अथवा अर्धन्यायिक प्राधिकरण अपने क्षेत्राधिकार का अतिक्रमण करता है। इसमें प्राधिकरण न्यायालय को कार्यवाही तत्काल रोकने का आदेश दिया जाता है।
*भारतीय नागरिकों को वर्तमान समय में संपत्ति का अधिकार मूल अधिकार के रूप में प्राप्त नहीं है इसे 44वे संविधान संशोधन द्वारा एक कानूनी अधिकार बना दिया गया जिसका उल्लेख अनुच्छेद 300' क'मैं है।

मौलिक अधिकारों का निलंबन

जब राष्ट्रपति देश में अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा (युद्ध और ब्रह आक्रमण के आधार पर) करते हैं तो अनुच्छेद 19 के तहत प्राप्त सभी मौलिक अधिकार स्वत: निलंबित हो जाते हैं ।
 अन्य मौलिक अधिकारों को राष्ट्रपति 359 के तहत अधिसूचना जारी कर निलंबित कर सकता है।
44वे संविधान संशोधन (1978)के अनुसार अनुच्छेद 20 और 21 द्वारा प्रदत्त अधिकार कभी भी समाप्त नहीं किए जा सकते ।
इस प्रकार देश में आपात स्थिति में अधिसूचना जारी कर अनुच्छेद 20 और 21 द्वारा प्रदत्त अधिकारों को छोड़कर बाकी सभी मौलिक अधिकार निलंबित किए जा सकते हैं।

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