सिकंदर का आक्रमण:-
इस समय उत्तरी भारत में मगध के साम्राज्य का उत्कर्ष हो रहा था,भारत का संपूर्ण क्षेत्र छोटे-छोटे राज्यों में विभक्त था। यह राज्य सदैव एक दूसरे से संघर्षपत रहते थे।
इस राजनीतिक कमजोरी का फायदा सिकंदर (मकदूनिया का शासक फिलिप का पुत्र) ने उठाया तथा 326 ईसा पूर्व में भारत पर आक्रमण किया।
सिकंदर द्वारा भारत पर आक्रमण करने के कारणों में विश्व विजेता बनने की अभिलाषा, धन प्राप्त करने की इच्छा, नए प्रदेशों की जानकारी की इच्छा,तथा कुछ भारतीय शासकों के सहयोग का आश्वासन प्रमुख थे।
व्यास नदी पर पहुंचकर सिकंदर के सिपाहियों ने आगे बढ़ने से इंकार कर दिया।इनकार करने के प्रमुख कारणों में सैनिकों द्वारा लगातार युद्ध में उत्पन्न हताशा की विशाल सेना, सीमांत प्रदेश की कष्टदायक जलवायु घर लौटने की व्यग्रता आदि थे।
नवंबर 326 ई पूर्व में झेलम नदी के मार्ग से सिकंदर की वापसी यात्रा आरंभ हुई। वह भारत भूमि छोड़कर बेबीलॉन चला गया। जहां 323 ईसा पूर्व में उनकी मृत्यु हो गई।
सिकंदर के आक्रमण के प्रभाव:-
भारत में उनके यवन या यूनानी बस्तियों की स्थापना हुई।
भारत तथा यूनान के मध्य एक जल मार्ग एवं तीन स्थल मार्ग खुलने से प्रत्यक्ष संपर्क स्थापित हुआ।
सिकंदर के आक्रमण का एक महत्वपूर्ण परिणाम यह निकला कि भारतीयों में राजनीतिक एकता स्थापित करने की प्रकृति का उदय हुआ। सीमांत प्रदेश के राज्य इतने कमजोर हो गए थे कि चंद्रगुप्त मौर्य ने आसानी से उन्हें अपने अधिकार में ले कर भारत में प्रथम साम्राज्य की स्थापना की।
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