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1857 की क्रांति

1857 की क्रांति:- 

क्रांति के कारण:-
लॉर्ड डलहौजी की राज्य हड़प नीति और लार्ड वेलेजली की सहायक सन्धि ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
राजनीतिक कारणों के साथ ही प्रशासनिक कारण भी क्रांति के लिए उत्तरदायी थे, कोई भी भारतीय उच्च पद तक नहीं पहुंच सकता है।
ईसाई धर्म के प्रचार ने भी भारतीयों के असंतोष को उभारा।
अंग्रेजों द्वारा भारत का आर्थिक शोषण भी प्रमुख कारण था।
सैनिक कारणों में ऐसे अनेक बिंदुओं विद्ममान थे जो विद्रोह की पृष्ठभूमि तैयार कर रहे थे। पदोन्नति से वंचित रखना, भारत की सीमा में बाहर युद्ध के लिए भेजा जाना, समुंदर पार का बताना देना आदि ऐसे अनेक कारण थे।
चर्बी लगे कार्टूनों के प्रयोग को क्रांति का तत्कालीन कारण माना जाता है।

असफलता के कारण:-

असफलता का प्रमुख कारण संगठन तथा एकता की कमी थी।
ग्वालियर के सिंधिया, इंदौर के होल्कर,हैदराबाद के निजाम आदि राजाओं ने अंग्रेजों का खुलकर साथ दिया।
क्रांति का प्रभाव
इसका प्रभाव यह हुआ कि कंपनी का शासन समाप्त करके ब्रिटिश सरकार नेइसे अपने हाथ में ले लिया। इसके लिए भारत शासन अधिनियम 1858 पारित हुआ।
फौज का इस तरह पुनर्गठन किया गया कि आगे ऐसी घटना ना घटे।
अट्ठारह सौ सत्तावन ईसवी के विद्रोह के प्रमुख केंद्र में प्रमुख विद्रोही नेता:-
दिल्ली /बहादुर शाह जफर, बख्त खा,11मई 1857 ई ० निकलसन हड़सन, 20 सितंबर 1857 ई०
कानपुर/नाना साहब, तात्या टोपे, 5 जून 1957 ईस्वी, कालीन केंपेब्ल दिसंबर 1357 ईसवी
लखनऊ/बेगम हजरत महल, बिरजिस कादिर , 4 जून 1957 ईस्वी, कालीन केंपबेल, 31 March 1858 ई ०

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