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Europeans visit India(यूरोपियों का भारत आगमन)

यूरोपियों का भारत आगमन

 पुर्तगाली:-

2019 ईस्वी में वास्कोडिगामा केरल के कालीकट नामक नगर मैं समुद्री मार्ग से पहुंचा।
शुरू में पुर्तगालियों का उद्देश्य भारत के साथ व्यापार करना था।
फ्रांसिस्को डी -अलमिडा भारत में पहला पुर्तगाली गवर्नर था जो 1505 ई० से 1509 ई ० तक भारत में रहा ।
1509 ईसवी में पुर्तगाली गवर्नर अल्बुकर्क भारत आया और उसने को चीन में एक दुर्ग बनवाया।
1510 ईसवी में गोवा पर अधिकार कर लिया।
अल्बुकर्क को भारत में पुर्तगाली साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।
100 वर्षों में वे भारत में जम गए और अपना व्यापार बढ़ा लिया।
वे भारत में 1961 ईस्वी तक रहे, हालांकि उनके पास सिर्फ गोवा, दमन और दीप ही रह गए थे।
पुर्तगालियों के भारत आगमन से भारत में तंबाकू की खेती, जहाज निर्माण एवं प्रिंटिंग प्रेस का सूत्रपात (1556 ई ०) हुआ ।

डच:-

पुर्तगालियों की ही तरह दक्षिण भारत के साथ व्यापार करने हेतु भारत आए।
इस दिशा में पहला प्रयास 1552 ईस्वी में जब एमस्टरडम के व्यापारियों ने भारत के साथ व्यापार करने के लिए एक व्यापारिक कंपनी की स्थापना की ।
1602 ईस्वी में यूनाइटेड ईस्ट इंडिया कंपनी ऑफ द नीदरलैंड अस्तित्व में आई।
1605 ईस्वी में पहली फैक्ट्री मसूलीपट्टनम में स्थापित की गई। अन्य फैक्ट्रियां:- पुलीकट, चिनसुरा,पटना , बालासोर, नागापट्टतनम, कोचीन, सूरत, कारिकाल, कासिम बाजार में स्थापित की गई।
1639 ईस्वी में उन्होंने गोवा पर (जो पुर्तगाली शक्ति का केंद्र था) आक्रमण किया, 1641 ईस्वी में मल्लका पर विजय प्राप्त की तथा 16583 में लंका पर अधिकार कायम कर लिया।
1759 ईस्वी में अंग्रेजों तथा डचो के मध्य मसालों का दीप को लेकर संघर्ष होता रहा है जिसमें अंग्रेज विजयी हुए।

अंग्रेज:

ईस्ट इंडिया कंपनी (1600 ई ०)की स्थापना ब्रिटिश सरकार द्वारा कुछ व्यापारियों को चार्ट प्रदान करने के साथ हुईं।
जेम्स प्रथम के राजदूत टोमस रो ने जागीर से सूरत फैक्ट्री खोलने तथा व्यापार करने की आज्ञा प्राप्त कर ली थी।
मुंबई, सूरत, मद्रास और हुगली को शामिल करके अंग्रेजों ने इन्हें प्रेसिडेंसी शहर बना दिया।
इनका व्यापार बढ़ता गया और इन्होंने पुर्तगाल और फ्रांस को बहुत पीछे छोड़ दिया।
1757 में प्लासी के युद्ध में क्लाइव नए बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को हराकर भारत में अंग्रेजी राज्य की नींव रखी।
1764 ईस्वी० बक्सर के युद्ध में अंग्रेजो ने शाहआलम (मुगल सम्राट) शुजाडदौला (अवध का नवाब) और मीर कासिम (बंगाल का नवाब) की संयुक्त सेनाओं को हरा कर अंग्रेजी राज्य दिल्ली तक फैला दिया।
1818 ई ० मैं अंग्रेजों ने मराठा शक्ति को पूर्णतया समाप्त कर दिया तथा 1849 ई ० के चिलियानवाला के युद्ध में शिव शक्ति का अंत करके पंजाब समेत पूरे भारत को अपने राज्य में मिला लिया।

डेन

डेनमार्क ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 1616 ईस्वी में हुई थी। इस कंपनियों ने त्रेको बार (तमिल नाडु) और सेरामपुर (बंगाल) मैं अपने व्यापारिक कोठिया स्थापित की गई।
1845 ई ० मैं डेनो मैं अपनी भारतीय वाणिज्य कंपनी को अंग्रेजों को बेच दिया।

फ्रांसीसी:

फ्रांसीसी सम्राट लुई चौदहवे के मंत्री कॉल बर्ट द्वारा 1664 में फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की गई थी।
इन्होंने 1667 ई० मैं सूरत में अपनी पहली फैक्ट्री खोली ।
1742 ई० मैं डुप्ले नामक फ्रेंच गवर्नर भारत में आया।
वह बहुत महत्वकांक्षी था परंतु वांडीवश के युद्ध में उसे क्लाइव के कारण अंग्रेजों से पराजय देखनी पड़ी।
1956 ई ० मैं फ्रांस को भारत की बस्तियो पांडुचेरी, नागर हवेली, माहे आदि से अपना अधिकार छोड़ना पड़ा।

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