जीवन की उत्पत्ति (origin of life)
जीवन की उत्पत्ति के संबंध में मुख्य सिद्धांत है।
स्वत: उत्पत्तिवाद
(Theory of spontaneous generation)
इस मत के अनुसार जीव स्वत: निर्जीव पदार्थों से उत्पन्न हुए ।
वॉन हेल्मोनट (1652) के अनुसार जब गेहूं के दानों को पसीने से भीगी कमीज के साथ अंधेरे में रखा जाता है तो 21 दिन में चूहे उत्पन्न हो जाते हैं ।
जिवात जैवउत्पत्तिवद
(Theory of biogenesis)
फ्रेनशिको रेड्डी , लेजारो स्पेकेजारी, लुइस पाश्चर ने जीवन की उत्पत्ति के स्वत: उत्पत्तिवाद का खंडन किया।
स्पेलिंजानी ने बताया कि वायु में सुष्मजिवी भी उपस्थित होते हैं।
पास्टर रोगों के रोगाणु सिद्धांत (germ theory of disease) के लिए प्रसिद्ध है।
सर्जरी में काम आने वाले उपकरणों के निर्जरमीकरण से उन पर उपस्थित रोगाणु मर जाते हैं।
(Theory of special creation)
इस मत के अनुसार जीवन की उत्पत्ति किसी विशिष्ट प्राकृतिक शक्ति (super National Power) जैसे ईश्वर के द्वारा हुई है।
फादर सोर्ज (father sourez)के अनुसार ईश्वर द्वारा जीवन की उत्पत्ति लगभग 4004B.C हुई थी।
फादर सोर्ज इस सिद्धांत के पक्के समर्थक थे।
आधुनिक सिद्धांत (ओपेरिन सिद्धांत)
जीवन की उत्पत्ति के लिए जल की उपस्थिति अति आवश्यक है। जल की अनुपस्थिति के कारण ही चंद्रमा पर जीवन नहीं है।
वायुमंडल की ऑक्सीजन पौधों से सहउत्पाद के रूप में उत्पन्न हुई।
यह सिद्धांत एलेग्जेंडर आई० ओपेरिन ने प्रतिपादित किया और 'द ओरिजिन ऑफ़ लाइफ"(1936) पुस्तक लिखी ।
जैव विकास के प्रमाण
समजात अंग (homeologos organs) उत्पत्ति एवं संरचना में तो सामान परंतु कार्य में समान अथवा समान हो सकते हैं।
चमगादड़ के पंख, बिल्ली का पंजा, घोड़े के अग्रपाद, मनुष्य का हाथ एवं पक्षियों के पंख समजात अंग है।
जीवन में समवर्ती अंग का विकास एक समान आवास एवं जीने के तरीके के कारण हुआ जबकि ये जीव विकास क्रम के अनुसार जातिव्रत (phylogenetically) भिन्न भिन्न होते हैं।
कीट पक्षी एवं चमका दलों के पंख समवर्ती अंग है।
अवशेषी अंग, कार्यवाहीन अंग होते हैं। जो पहले कार्य करते थे।
कर्ण पल्लव की पेशियां, शरीर के ऊपर बाल, vermiform appendix, निक्टिटेटिंग झिल्ली आदि अवशेसी अंग है
पूर्वज का में कुछ पूर्वजों के लक्षण पुनः नई पीढ़ी मैं प्रदर्शित होते हैं।
मोटे बाल, छोटी अस्थाई पूछ, आदि पूर्वज ता के उदाहरण है।
जैव विकास के सिद्धांत
Theory of evolution
जैव विकास सामान्यत्य: प्रगामी होता है, तथा विभिन्नता है इसके लिए मुख्य आवश्यकता है। जेबी विभिन्न नेताओं के लिए उत्परिवर्तन (जीना में होने वाला आकस्मिक परिवर्तन) अंतिम स्त्रोत है ।
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