वेद:-
वेद का अर्थ ज्ञान से है। इनसे आर्यों के आगमन व बसने का पता चलता है।
वेद चार है
1. ऋग्वेद
2. सामवेद
3. यजुर्वेद
4. अथर्ववेद
*ऋग्वेद
ऋग्वेद में 10 मंडल, 1028 शलोक,(1017 सूक्त, तथा 11 वलाशिल्या) तथा लगभग 10,600 मंत्र है।
इसमें पहला और दसवां मंडल बाद में जोड़ा गया।
ऋग्वेद में अग्नि, मित्र, इंद्र, वरुण आदि देवताओं की स्मृति में रची गई प्रार्थनाओं का संकलन है।
तथा इसका पाठ करने वाले ब्राह्मणों को होत् या हाता का गया है।
10वें मंडल में पुरुषसूक्त का जिक्र आता है । जिसमें 4 वर्णों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वेश्या एवं शूद्र) का उल्लेख है ।
गायत्री मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद में है। यह मंत्र सूर्य की स्थिति में है।
यजुर्वेद
यजुर्वेद कर्मकांड प्रधान ग्रंथ है। इसका पाठ करने वाले ब्राह्मणों को'अध्वर्यु'कहां गया है।
यजुर्वेद दो भागों में विभाजित है।
*कृष्ण यजुर्वेद (गध)
*शुक्ल यजुर्वेद (पध)
यजुर्वेद एक मात्र ऐसा वेद है। जो गद्य और पद्य दोनों में रखा गया है।
*सामवेद
साम का अर्थ गान से है। इसकी ऋचाओ का गान करने वाला ब्राह्मण को ' उद्रगात' कहां गया है।
सामवेद में कुल 1549 ऋचाये हैं।
वेदों में सामवेद को भारतीय संगीत का जनक'माना जाता है ।
*अथर्ववेद
अथर्व वेद की रचना'अर्थ्वा ऋषि' की थी इस शब्द का तात्पर्य है:- पवित्र जादू। अथर्ववेद में रोग निवारण, राज भक्ति, विवाह, प्रणय गीत, अंधविश्वासीयों का वर्णन है।
ऋग्वेद- आयुर्वेद
चिकित्सा शास्त्र से संबंधित- धनवंतरि
यजुर्वेद-धनुर्वेद
युद्ध काल से संबंधित-विश्वमित्र
सामवेद-गांधर्व वेद
कला एवं संगीत से संबंधित-भरतमुनि
अथर्ववेद-शिल्प वेद
भवन निर्माण कला से संबंधित:-विश्वकर्मा
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