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विधानसभा और विधानपरिषद

 विधानसभा:-

विधानसभा राज्य के विधनमण्डल का निम्न सदन है।विधान सभा के सदस्यों का निर्वाचन प्रत्यक्ष रुप से राज्य की जनता करती है। इस कारण इस सदन को लोकप्रिय सदन भी कहते हैं।
विधानसभा विधानपरिषद से अधिक शक्तिशाली होती है।
राज्य की विधान सभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 525और न्यूनतम संख्या 60 होती है।
निर्वाचन पद्धति:-
आंग्ल भारतीय समुदाय के एक नामजद सदस्य को छोड़कर विधानसभा के अन्य सभी सदस्यों का मतदाताओं द्वारा प्रत्यक्ष रुप से चुनाव होता है।विधानसभा के निर्वाचन के लिए व्यस्त मताधिकार और संयुक्त निर्वाचन प्रणाली अपनाई गई है ।
मतदाताओं की योग्यताएं:-
मतदाता होने के लिए 18 वर्ष की आयु प्राप्त हो भारतीय नागरिक होना चाहिए। उसे पागल,बढ़िया या अपराधी नहीं होना चाहिए तथा उसका नाम मतदाता सूची में सम्मिलित होना चाहिए।
सदस्यों की योग्यता:-
वह भारत का नागरिक हो।
कम से कम 25 वर्ष आयु पूरी कर चुका हो।
संसद द्वारा निर्धारित की गई योग्यताएं रखता हो।
 दिवालिया, पागल तथा सरकारी कर्मचारी ना हो।
कार्यकाल:-
सावधान अवस्था में राज्य विधानसभा का कार्यकाल उसकी पहली बैठक से 5 वर्ष का है।
किंतु राज्यपाल द्वारा इसे समय से पूर्व भी भंग किया जा सकता है। संकट काल की घोषणा होने पर 1 वर्ष के लिए संसद इस अवधि को बढ़ा भी सकती है, परंतु यह बड़ी हुई अब भी अधिक से अधिक संकट काल की समाप्ति के छह माह बाद तक हो सकती है।
पदाधिकारी:-
प्रत्येक राज्य की विधानसभा के दो मुख्य पदाधिकारी होते हैं: अध्यक्ष (speaker) और उपाध्यक्ष (deputy speaker)
 इन दोनों का चुनाव विधानसभा के सदस्य अपने सदस्यों में से करते हैं। तथा इनका कार्यकाल विधानसभा के कार्यकाल तक होता है।इसके बीच अध्यक्ष अपना त्यागपत्र उपाध्यक्ष को तथा उपाध्यक्ष अपना त्यागपत्र अध्यक्ष को दे सकता है।
इन दोनों को विधानसभा सदस्यों के बहुमत द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव के आधार पर हटाया जा सकता है।
विधानसभा की शक्तियां और कार्य:-
1. विधायी शक्तियां
2. वित्तीय शक्तियां
3. प्रशासनिक शक्तियां
4. संविधान संशोधन की शक्तियां
5. निर्वाचन संबंधी शक्तियां
विधान परिषद:-
राज्य के विधानमण्डल के दूसरे सदन को विधान परिषद कहा जाता है। इससे उच्च सदन भी कहा जाता है।
वर्तमान समय में विधान परिषद भारतीय संघ के केवल 6 राज्यों (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, जम्मू कश्मीर और आंध्र प्रदेश) मैं है।
सदस्य संख्या:-
संविधान में व्यवस्था की गई है कि प्रत्येक राज्य की विधान परिषद के सदस्य की संख्या उनकी विधान सभा के सदस्यों की संख्या के 1/3 से अधिक नहीं होगी।परंतु साथ ही यह भी कहा गया है कि किसी भी दशा में उसकी सदस्य संख्या 40 से कम नहीं होनी चाहिए।
36सदस्य वाली जम्मू कश्मीर की विधान परिषद इस नियम का अपवाद है।
विधान परिषद का गठन:-
विधान परिषद के गठन के लिए निम्न पांच आधारों का सहारा लिया जाता है।
*1/3 सदस्य राज्य की स्थानीय संस्थाओं द्वारा चुने जाते हैं।
*1/3 सदस्य राज्य की विधान सभा द्वारा निर्वाचित होते हैं।
*1/12 सदस्य राज्य के पंजीकृत स्नातकों द्वारा निर्वाचित होते हैं।
*1/2सदस्य राज्य के ऐसे अध्यापकों द्वारा निर्वाचित होते हैं जो माध्यमिक पाठशाला या इससे उच्च शिक्षण संस्थाओं में कम से कम 3 वर्ष से अधिक कार्य कर रहे हो।
*1/6सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनीत किए जाते हैं मनोनयन राज्यपाल द्वारा उन व्यक्तियों में से किया जाता है जो साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा के क्षेत्र में विशेष रूचि रखते हो।
सदस्यों की योग्यताएं:-
विधान परिषद के सदस्यों के लिए योग्यताएं है जो विधानसभा की सदस्यों के लिए है। अंतर केवल है कि विधान परिषद की सदस्यता के लिए आयु न्यूनतम 30 वर्ष होनी चाहिए।
इसके अतिरिक्त,निर्वाचित सदस्यों को उस राज्य की विधानसभा के निर्वाचन क्षेत्र का निर्वाचन होना चाहिए वह नियुक्त किए जानेवाले सदस्यों को उस राज्य का निवासी होना चाहिए जिसकी विधान परिषद का वह सदस्य बनना चाहता है।

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