आर्थिक शब्दावली
अनुदान (subsidy): सरकार द्वारा किसी उद्योग या व्यापार को किया गया भुगतान, ताकि उस से उत्पादित वस्तुओं की कीमत ना बढ़े या वह अपनी गतिविधियां बंद ना करें। अनुदान प्रदान करने का उद्देश्य उद्योगों के साथ-साथ उपभोक्ताओं को भी सहायता पहुंचाना है।
अनुषंगी हितलाभ (fringe benefits)निर्धारित मासिक वेतन के अतिरिक्त नियोक्ताओं द्वारा अपने कर्मचारियों को जो अतिरिक्त सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं उन्हें अनुषंगी हितलाभ कहा जाता है ।
आस्थिर उद्योग (footloose industry)
वह उद्योग जो किन्ही विशिष्ट अवस्थित संबंधी आवश्यकताओं के अनुभव के कारण कहीं भी स्थापित किए जा सकते हैं अर्थात किसी भी क्षेत्र में उनकी स्थापना की जा सकती है उन्हें अस्थिर उद्योग कहते हैं।
अतिरेक बजट (surplus budget)ऐसा बजट जिसमें सरकार की आय उसके वह से अधिक होती है यह अतिरेक बजट कहलाता है।
अनौपचारिक क्षेत्रक (informal sector): विकासशील अर्थव्यवस्था वाले देशों में बड़ी संख्या में लोग छोटे-मोटे एवं संप्रदान स्वरोजगार मैं संलग्न रहते हैं। अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक को अनौपचारिक क्षेत्रक कहते हैं। उदाहरण:-दर्जी, धोबी, मोटर मकैनिक आदि अनौपचारिक क्षेत्रक के अंतर्गत आते हैं।
अल्पाधिकार (oligopoly)यदि किसी वस्तु के बाजार में विक्रेताओं की संख्या बहुत कम होती है किंतु 2 से अधिक होती है तो ऐसा बाजार अल्पाधिकार वाला बाजार कहलाता है।
अधीविकर्ष (overdraft) बैंकों से जमा कर्ताओं द्वारा अपनी जमा रकम क्या तेरे तन निकालना अधीविकर्ष कहलाता है।
अमूर्त संपत्तियों (intangible assets) इस प्रकार की संपत्तियों का कोई भौतिक अस्तित्व नहीं होता। अर्थात हिना का आंतरिक मूल्य कुछ नहीं होता परंतु स्वामित्व एवं कब्जे के द्वारा प्रदत्त अधिकारों से प्राप्त किया जाता है। जैसे व्यापारिक चिन्ह, पेटेंट, ख्याति, कॉपीराइट आदि।
अनुसूचित व्यापारिक बैंक (scheduled commercial banks):वे बैंक जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अपनी दूसरी अनुसूची में शामिल कर लिया गया है इस श्रेणी में शामिल किए जाते हैं कि कुछ आवश्यक शर्तें हैं जिन्हें पूरी करने के पश्चात ही बैंक को इस अनुसूची में शामिल किया जाता है। उदाहरण स्वरूप बैंक की चुकता पूंजी तथा आरक्षित कुंजी का योग कम से कम ₹500000 होना चाहिए तथा बैंक का संचालन ऐसा होना चाहिए कि उससे जमा करता के हित सुरक्षित रहें।
अभयंश(quota)जब किसी वस्तु के आयात के लिए एक निश्चित सीमा निर्धारित की जाती है जिससे अधिक मात्रा में उस वस्तु का आयात नहीं किया जा सकता तो यह अभयंश कहलाता है।
हास्थिर उद्य
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