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History of India's planning

भारत में नियोजन का इतिहास

(भारत में नियोजन का इतिहास)
* 1934-सर एम विश्वेशवर्ये ने अपनी पुस्तक planned economy for Indiaमैं 10 वर्षीय योजना प्रस्तुत की जिस का मूल उद्देश्य 10 वर्ष में राष्ट्रीय आय को दोगुना कर ना होते हुए उत्पादक में वृद्धि करना लघु एवं बड़े उद्योगों का समन्वित विकास करना था।
*1938-भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पं० जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय नियोजन समिति का गठन किया जिसनेजिसने देश की आर्थिक समस्याओं को ध्यान में रखकर सरकार के समक्ष एक योजना प्रस्तुत की जिस के प्रमुख बिंदु थे-सहकारी कृषि को प्रोत्साहन, उद्योगों का विकास, मिश्रित अर्थव्यवस्था तथा कृषि ऋणों की प्रोत्साहन, उद्योग का विकास, मिश्रित अर्थव्यवस्था तथा कृषि ऋणों की उपलब्धता,
*1944-मुंबई के 8 प्रमुख उद्योगपतियों ने मिलकर एक 15 वर्षीय योजना का प्रारूप प्रस्तुत किया जिसे मुंबई प्लेन के नाम से जाना जाता है । Our plan for economic development of India, नाम की इस योजना के माध्यम से प्रति व्यक्ति आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया। यह योजना मुख्य रूप से पूंजीवादी योजना थी जो जन समर्थन न मिलने के कारण क्रियान्वित ना हो सकी। इसी साल भारतीय श्रम संघ के प्रमुख श्री एम एन राय द्वारा साम्यवादी सिद्धांतों के आधार पर एक जन योजना प्रस्तुत की गई साम्यवादी विचारधारा पर आधारित होने के कारण इस योजना को भी स्वीकार नहीं किया गया।
*1944 मैं ही श्रीमननारायण ने एक गांधीवादी योजना प्रस्तुत की इस योजना का उद्देश्य जन समुदाय के जीवन स्तर को निर्धारित न्यूनतम सीमा तक लाना था।वित्तीय संगठनों की अनुबंधित आके कार्ययोजना क्रिया बनती हो ना हो सकी।
*1950-श्री जयप्रकाश नारायण ने शोषण विहीन समाज की स्थापना के उद्देश्य में सर्वोदय योजना प्रस्तुत की सरकार ने इस योजना को आंशिक रूप से स्वीकार किया।

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