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National income of india

भारत की राष्ट्रीय आय:-

राष्ट्रीय आय क्या अर्थ किसी देश में 1 वर्ष के मध्य उत्पादित सभी वस्तुओं एवं सेवाओं के बाजार मूल्य के कुल जोड़ से है जिसे हाथ से घटाकर में विदेशी लाभ जोड़कर निकाला जाता है। 
एक देश की राष्ट्रीय आय में पांच प्रकार से प्रकट की जाती है:-
1. सकल राष्ट्रीय उत्पादन अथवा सकल घरेलू उत्पाद
Gross National product or GNP aur gross domestic product:-
सकल राष्ट्रीय उत्पादन सेअर्थ 1 वर्ष में उत्पादित होने वाले सभी वस्तुओं और सेवाओं के बाजार मूल्य के जोड़े से हैं। इसमें स्थाई संपत्तियों पर होने वाले हादसे को नहीं घटाया जाता है।
वास्तव में, सकल राष्ट्रीय उत्पादन 2 अनुमानों  का जोड़ है:-
देश में उत्पादित सभी वस्तुओं के मूल्य एवं
विदेशों से प्राप्त शुद्ध आय।
सकल राष्ट्रीय उत्पादन एवं राष्ट्रीय आय में अंतर है। सकल राष्ट्रीय उत्पादन देश के संपूर्ण उत्पादन (ह्रास बिना घटाएं ही)का बाजार मूल्य होता है जबकि राष्ट्रीय आय शुद्ध उत्पादन (ह्रास घटाने के बाद) होता है।
सकल राष्ट्रीय उत्पादन में चालू वर्ष में उत्पन्न वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य को ही शामिल किया जाता है।
2. शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद अथवा शुद्ध घरेलू उत्पादन
Net National product aur NNP or net domestic product
सकल राष्ट्रीय उत्पादन में हरास घटाने के बाद जो शेष रहता है, वह शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद अन्य शुद्ध घरेलू उत्पादन कहलाता है। गणितीय रूप में यह NNP और NDP=(GNP or GDP-depreciation)है
3.राष्ट्रीय आय (national income)
इसे साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय आय (net National product factor cost) भी कहते हैं। इसकी गणना हेतु शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन (NNP) मैं से अप्रत्यक्ष करो (indirect taxes) को घटा दिया जाता है किंतु सरकार द्वारा दी गई सहायता (subsidies) जोड़ दी जाती है।
4.व्यक्तिगत आय घरेलू उत्पादन (personal income or net domestic product)
यह आय वह आय है जो कि वास्तव में देश की जनता द्वारा एक वित्तीय वर्ष में प्राप्त की जाती है। इसकी गणना निम्न प्रकार की जाती है।
व्यक्तिगत आय={निगम व कंपनियों पर कर+कंपनी के अतिरिक्त लाभ+प्रोविडेंट फंड में अंशदान-(सरकार द्वारा सामाजिक सुधार पर व्यय)}
5. व्यय योग्य आय: (disposable income)
इसका तात्पर्य है जनता के पास है शुद्ध आय जिसे जनता व्यय करने को तत्पर हो ऐसी आय की गणना के लिए व्यक्तिगत आय में से व्यक्तिगत प्रत्यक्ष करो को घटा दिया जाता है।
भारत की राष्ट्रीय आय का प्रथम आकलन 1867-68 मैं दादाभाई नरोजी द्वारा किया गया था।
वर्तमान में भारत सरकार का केंद्रीय सांख्यिकी संगठन भारत की राष्ट्रीय आय की गणना करता है।
भारत की राष्ट्रीय आय में क्षेत्रवार योगदान
1. प्राथमिक क्षेत्र
कृषि, वानिकी , मत्स्य, खनन
2. द्वितीयक क्षेत्र
निर्माण एवं विनिर्माण
3. तृतीय क्षेत्र
व्यापार,परिवहन , संचार, बैंक, बीमा, वास्तविक जायदाद, सामाजिक सामुदायिक एवं व्यक्तिक़ सेवाएं,।
निम्न तालिका स्पष्ट कर दी है कि योजना काल के 53 वर्ष के बाद राष्ट्रीय आय में प्राथमिक क्षेत्र का योगदान कम हुआ है तथा द्वितीय एवं तृतीय क्षेत्रों का योगदान बड़ा है।

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