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Nuclear power generation

परमाणु बिजली उत्पादन:-

भारत में परमाणु ऊर्जा आयोग के गठन से लेकर अब तक परमाणु बिजली उत्पादन के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताएं मिलती रही है। 
तारापुर परमाणु विद्युत केंद्र:-
संयुक्त राज्य अमेरिका की सहायता से स्थापित है भारत का प्रथम परमाणु विद्युत संयंत्र है। इस संयंत्र के अंतर्गत 107 मेगावाट की क्षमता वाले व्यंगलिंग वाटर रिएक्टर की दो इकाई कार्यरत है। जो अमेरिका से आयातित व संवर्धित यूरेनियम को ईंधन के रूप में प्रयोग करते हैं। तारापुर परमाणु विद्युत संयंत्र से भारत के दो पश्चिमी राज्यो-महाराष्ट्र एवं गुजरात से विद्युत की आपूर्ति की जाती है।
रावतभाटा परमाणु विद्युत केंद्र:-
कनाडा के सहयोग से प्रारंभ रावतभाटा परमाणु बिजलीघर में 3 इकाइयां हैं, जिनमें से पहले 100 मेगावाट, दूसरी 200 मेगावाट, तथा तीसरी 220 मेगावाट क्षमता वाली है । अब यह भारत का सबसे बड़ा न्यू क्लियर पार्क बन गया है
कलपक्कम परमाणु विद्युत केंद्र:-
चेन्नई स्थित कलपक्कम परमाणु बिजलीघर में 220 मेगावाट की दो इकाइयां कार्यरत है । जो तमिलनाडु को विद्युत आपूर्ति करती हैं।
नरौरा परमाणु विद्युत केंद्र:-
उत्तर प्रदेश स्थित नरोरा परमाणु बिजलीघर में 220 मेगावाट की दो इकाइयां कार्यरत है, इस संयंत्र से उत्तर प्रदेश को विद्युत आपूर्ति की जाती है।
काकरापार परमाणु विद्युत केंद्र:-
काकरापार परियोजना के प्रस्तावित 2020 मेगावाट के दो संयंत्र में से पहली इकाई ने 6 मई, 1993 से व्यावसायिक उत्पादन शुरू कर दिया और दूसरी इकाई ने 3 जनवरी, 1995 से करना शुरू कर दिया । यह रिएक्टर गुजरात को विद्युत आपूर्ति करता है।
फास्ट ब्रीडर टेक्नोलॉजी:-
इसकी विशेषता है कि इसमें जितना परमाणु ईंधन डाला जाता है उससे कहीं अधिक ईंधन बिजली उत्पादन के बाद निकलता है। इस परवर्ती ईंधन का इस्तेमाल नए किस्म के परमाणु संयंत्र में फिर बिजली उत्पादन में किया जा सकेगा।
फिलहाल इस'फास्ट ब्रीडर टेक्नोलॉजी'पर आधारित देश का पहला पायलट परमाणु बिजलीघर कलपक्कम में लगाया गया । जो 2009 तक बिजली प्रदान करने लगेगा। इसकी सफलता देखने के बाद ही अगले चार और फास्ट ब्रीडर संयंत्र लगाए गए।
पोखरण परमाणु परीक्षण:-
18 मई 1974 में पोखरण में भारत ने पहला स्वदेशी परीक्षणिय परमाणु विस्फोट किया। यह बम 12 किलोटन क्षमता का था। विस्फोट के बाद 10 मीटर गहरे और फोटो 7 मीटर की परिधि वाले गड्ढों का निर्माण हो गया। पहले परमाणु परीक्षण के 24 वर्षों बाद पोखरण मैं ही मई, 1998 में एक बार फिर परमाणु परीक्षण किया गया।
'शक्ति 98'के नाम से किए गए परीक्षणों के दौरान 11 मई एवं 13 मई को पांच परीक्षण किए गए तीन परीक्षण 11 मई को किए गए जिनमें एक परीक्षण 1974 में किए गए 12 किलोटन के नाभिकीय विखंडन के समक़क्ष था। 13 मई को दो और नाभिकीय परीक्षण किए गए।

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विश्व के महाद्वीप

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Lithosphere (स्थलमण्डल)

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