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सहकारी बैंक (co-operative Bank)

सहकारी बैंक (co-operative banks)

भारत में सहकारी बैंक अपने व्यापक शाखा नेटवर्क और स्थानीयकृत परिचालनात्मक आधार के साथ सामान्यत: विकास प्रक्रिया में और विशेषकर ऋण वितरण एवं जमा संग्रहण मैं महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।सहकारी बैंकिंग क्षेत्र के विभिन्न कार्यों से जनता के विविध वर्गो ऋण संबंधी विशिष्ट आवश्यकताएं स्थान एवं अवधि के अनुसार पूरी की जाती है।
वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्र में कृषि तथा संबद्ध क्रियाओं को जो संस्थागत सांख प्राप्त होती है उसमें सहकारी साख का हिस्सा 43% है और इस प्रकार यह कृषि वित्त का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है। वाणिज्य बैंक का हिस्सा 50% तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का 7% है।
भारत में सहकारी साख आंदोलन स्तूपाक़ार है जिसके आधार में ग्राम में स्तर पर प्राथमिक साख समितियां, जिला स्तर पर केंद्रीय सहकारी बैंक तथा राज्य स्तर पर राज्य सहकारी बैंक है।
1प्राथमिक सहकारी समितियां(primary cooperative society)
यह ग्रामीण या लोक स्तर पर कृषि क्षेत्र की अल्पकालीन ऋणों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए गठित की जाती है।
गांव के कोई भी 10 व्यक्ति मिलकर ऐसी समिति की स्थापना कर सकते हैं।
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सामान्यतय: यह कृषि क्षेत्र के उत्पादकिय कार्यों के लिए 1 वर्ष की अवधि के लिए अल्पकालीन ऋण देता है।
आसमान में देश में 99,000 प्राथमिक सहकारी समितियां कार्य कर रही है।
2 केंद्रीय सहकारी बैंक या जिला सहकारी बैंक :-(distt. Co-operative Bank)
भारत में यह बैंक दो प्रकार के हैं-
प्रथम, जिस की सदस्यता केवल सरकारी प्राथमिक समितियों को ही मिल सकती है तथा द्वितीय जिन की सदस्यता प्राथमिक सहकारी समिति तथा व्यक्ति दोनों को ही मिल जाती है
इस बैंक द्वारा में सभी कार्य संपादित किए जाते हैं जो एक व्यापारिक बैंक द्वारा किए जाते हैं।
यह बैंक मुख्यत:राज्य सरकारी बैंक से ऋण लेकर अपनी चालू पूंजी में वृद्धि करता है तथा प्राथमिक सहकारी समितियों को ऋण देता है।
वर्तमान में देश में 343 जिला सहकारी बैंक।

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