ईंधन:-(fuel)
जो पदार्थ जलने पर उष्मा उत्पन्न करते हैं ईंधन कहलाते हैं।ईंधन को जलाकर विभिन्न कार्यों के लिए क्षमा प्राप्त की जाती है। जैसे: कोयला, लकड़ी, मिट्टी का तेल, पेट्रोल, डीजल आदि।
ईंधन जैसे लकड़ी, कोयला, केरोसिन तेल, एल ० पी ० जी ०, चारकोल आदि घरेलू ईंधन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं। एल०पी०जी० में गैस रिसाव का पता लगाने के लिए इसमें एक तेज गंध वाली पदार्थ एथिल मरकैप्टन मिला देते हैं जिसकी गंधक H 2Sके समान होती है जिसे आसानी से गैस रिसाव का पता चलाया जा सकता है।
पेट्रोल, कार तथा वायुमंडल में ईंधन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं। जबकि डीजल, ट्रक, बस, रेलगाड़ी, तथा जहाज में ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
पेट्रोल या गैसोलीन की गुणवत्ता ऑक्टेन संख्या के रूप में मापी जाती है। अतः ईंधन जिसकी आफ्टर संख्या जितनी अधिक होगी उतनी ही अधिक उत्तम होगा।
कृत्रिम रबड़,द्रवित अमोनियम तथा द्रवित हाइड्रोजन रॉकेट में नोदक की तरह प्रयोग किया जाता है।
जनरल वनस्पति का विशेष बड़ी आसानी से अनोक्सी सूक्ष्म जीवों द्वारा पानी की उपस्थिति में घटित हो जाते हैं, फलस्वरुप मीथेन , कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोजन तथा हाइड्रोजन सल्फाइड जैसे गैस उत्पन्न होती है। गैसों के इस मिश्रण को जैव गैस या बायोगैस कहा जाता है।
बायोगैस घरेलू उपयोग में एक अच्छा इंधन माना जाता है।
बायोगैस के अवयव: मीथेन 70% कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड आदि।
काष्ट गैस, कोल तार, चारकोल, मेंथिल अल्कोहल, तथा एसिटिक एसिड।
कोयले के भंजक आसवन से निम्नलिखित पदार्थ प्राप्त होते हैं:
कोल गैस (H2 +CH4+CO), जलिय अमोनियम द्रव्य, कोल तार, कोक, भाप अंगार गैस (CO+H2) अर्ध भाप अंगार गैस (भाप अंगार गैस +प्रड्यूसर गैस), प्रड्यूसर गैस (N2+CO)
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