ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भारत ने 1949 में अमेरिकी दबाव के बावजूद चीन को मान्यता प्रदान की तथा संयुक्त राष्ट्रीय संघ में उसके प्रवेश का जोरदार समर्थन किया। स्वतंत्रता के बाद भारत और चीन के संबंधों की कहानी भारतीय नेताओं की आदर्शवादीता,और आदूरदर्शिता और चीनी विश्वासघात की कहानी है। 1954 में पंडित नेहरू प्रेवर्ती 'पंचशील सिद्धांतो 'पर सहमति के पश्चात भारत को ऐसा लगा कि चीन उसका अच्छा मित्र साबित होगा । भारत चीन संबंधों की नीति निम्नलिखित तत्व पर आधारित रहती है:- भारत को यह विश्वास था कि प्राचीन काल से ही भारत और चीन के मध्य घनिष्ठ सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंध विद्वमान थे, तथा बौद्ध धर्म की जन्मभूमि भारत चीन का एक प्रकार से धर्मगुरु है, आतिफ चीन उसका सम्मान करेगा। चीन को अपनी स्वतंत्रता और अखंडता की रक्षा के लिए जापानी साम्राज्यवाद के विरुद्ध एक भीषण और दीर्घ संघर्ष करना पड़ा,इससे भारत में उसके प्रति गहरी सहानुभूति उत्पन्न हो गई थी। भारत की जय मान्यता थी कि चीन ने भारत पर कभी आक्रमण नहीं किया है और ना कभी करेगा, यदि चीन कभी आक्रमण करना भी चाहेगा तो उत्तर की दुर्गम पर्वत माला उसे कभी ...
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