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environmental pollution (पर्यावरण प्रदूषण)

पर्यावरण प्रदूषण:- मानव के जिस क्रिया से वायु, जल, मिट्टी तथा वहां के संसाधनों के भौतिक, रसायनिक या जैविक गुणों में कोई ऐसा अवांछनीय परिवर्तन आ जाए जिससे जैव जगत और संपूर्ण वातावरण पर हानिप्रद प्रभाव पड़े, उसे"पर्यावरण प्रदूषण"कहते हैं। वर्तमान में विश्व के विकसित एवं क्रियाशील देश मानव समाज की सुख सुविधाओं में वृद्धि के लिए भौतिक संसाधन तथा अपने परिवेश का आविवेकपूर्ण दोहन करने में लगे हैं।  विकासशील देश औद्योगिक एवं तकनीकी विकास द्वारा विकसित होने का प्रयास कर रहे हैं जबकि विकसित देश अपने संसाधनों के साथ साथ आ जाती है संसाधनों का उपयोग कर और अधिक विकास करने के प्रयास में लगे हैं। अतः मानव अपने स्वार्थों की आपूर्तिहेतु प्राकृतिक परिवेश के साथ निर्दयता का आचरण कर रहा है और आवंटित परिवर्तन कर रहा है जिस कारण उसका परिवेश प्रदूषित होता जा रहा है। विकसित देश के औद्योगिक क्षेत्र में सांस लेना की भी दुर्बल है, जल के प्रदूषित हो जाने के कारण उसे पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। मिट्टी के प्रदूषित हो जाने से बंजर एवं बिहड क्षेत्रों का विस्तार होता जा रहा है। वाहनों की तेज गति एवं ध्

Clouds (बादल)

बादल:- पृथ्वी के धरातल से विभिन्न ऊंचाइयों पर वायुमंडल में मौजूद जलवाष्प के संघननं से निर्मित जल करो की राशि को बादल (clouds) कहते हैं। धरातल से जल का वाष्पीकरण लगातार होता रहता है जलवाष्प युक्त वायु ऊपर उठी है तो प्रसारण की प्रक्रिया से वह शीतल होकर संतृप्त हो जाती है जब तापमान ओसांक से नीचे पहुंचता है तो संघनन होकर जलवाष्प अत्यंत सूक्ष्म जल कणों में परिवर्तित हो जाती है। यह जल करो कि संगठित संरचना ही बादल के रूप में नजर आती है। उच्च मेध (high clouds) औसत ऊंचाई 5-13 किलोमीटर 1. पक्षाभ मेघ ( cirrus clouds) यह बादल सबसे अधिक ऊंचाई पर पाए जाते हैं। 2. पक्षाभ - कपासी मेघ (cirro-Cumulus clouds) इन्हें मैकेरेल स्काई (mackerel sky) भी कहा जाता है। यह अक्सर समूह में होते हैं। 3. पक्षाभ - स्तरी मेघ (cirro stratus clouds) यह बादल सूर्य एवं चंद्रमा के आसपास प्रकाशमण्डल (halo) बनाते हैं। इन बादलों से आकाश का रंग दूधिया दिखाई देता है। मध्य मेघ (middle clouds):- औसत ऊंचाई 2-7 किलोमीटर 1. कपासी-मध्य मेध (Alto -cumulus clouds) ये पंक्तिब्द्ध लहरों के रूप में पाए जाते हैं। इन्हें ऊन की तरह संरचना बनान

Nuclear power generation

परमाणु बिजली उत्पादन:- भारत में परमाणु ऊर्जा आयोग के गठन से लेकर अब तक परमाणु बिजली उत्पादन के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताएं मिलती रही है।   तारापुर परमाणु विद्युत केंद्र:- संयुक्त राज्य अमेरिका की सहायता से स्थापित है भारत का प्रथम परमाणु विद्युत संयंत्र है। इस संयंत्र के अंतर्गत 107 मेगावाट की क्षमता वाले व्यंगलिंग वाटर रिएक्टर की दो इकाई कार्यरत है। जो अमेरिका से आयातित व संवर्धित यूरेनियम को ईंधन के रूप में प्रयोग करते हैं। तारापुर परमाणु विद्युत संयंत्र से भारत के दो पश्चिमी राज्यो-महाराष्ट्र एवं गुजरात से विद्युत की आपूर्ति की जाती है। रावतभाटा परमाणु विद्युत केंद्र:- कनाडा के सहयोग से प्रारंभ रावतभाटा परमाणु बिजलीघर में 3 इकाइयां हैं, जिनमें से पहले 100 मेगावाट, दूसरी 200 मेगावाट, तथा तीसरी 220 मेगावाट क्षमता वाली है । अब यह भारत का सबसे बड़ा न्यू क्लियर पार्क बन गया है । कलपक्कम परमाणु विद्युत केंद्र:- चेन्नई स्थित कलपक्कम परमाणु बिजलीघर में 220 मेगावाट की दो इकाइयां कार्यरत है । जो तमिलनाडु को विद्युत आपूर्ति करती हैं। नरौरा परमाणु विद्युत केंद्र:- उत्तर प्रदेश स्थित नरोरा परम

Supreme Court (सर्वोच्च न्यायालय)

  सर्वोच्च न्यायालय:- न्यायाधीशों की संख्या:- एक मुख्य न्यायधीश और 25 अन्य न्यायाधीश। न्यायाधीशों की नियुक्ति:- राष्ट्रपति द्वारा यह नियुक्तियां सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श के आधार पर की जाती है सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इस प्रसंग में राष्ट्रपति को परामर्श देने के पूर्व अनिवार्य रूप से चार वरिष्ठत्मन्यायाधीशों के समूह से परामर्श प्राप्त करते हैं तथा न्यायालय से प्राप्त परामर्श के आधार पर राष्ट्रपति को परामर्श देते हैं । वैवाहिक तौर पर सर्वोच्च न्यायालय का सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनता है। न्यायाधीशों की योग्यताएं:- वह भारत का नागरिक हो। मैं किसी उच्च न्यायालय दो या दो से अधिक न्यायालय में लगा था कम से कम पांच वर्ष तक न्यायाधीश के रूप में कार्य कर चुका हो अथवा किसी उच्च न्यायालय या न्यायालयों में लगातार 10 वर्ष तक अधिवक्ता रह चुका हो। अथवा राष्ट्रपति की दृष्टि में कानून का उच्च कोटि का ज्ञाता हो। कार्यालय तथा महाभियोग:- साधारणत: सर्वोच्च न्यायालय का प्रत्येक न्यायधीश 65 वर्ष की आयु तक अपने पद पर आसीन रह सकता है। इस अवस्था के पूर्व वह स्वयं त

National Emblem of India

  भारत के राष्ट्रीय प्रतीक: - राष्ट्रीय ध्वज :- संविधान सभा ने राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) का प्रारूप 22 जुलाई 1947 को अपनाया। ध्वज में समान अनुपात वाले तीन पट्टियां है जो केसरिया, सफेद में हरे रंग की है। ध्वज में सबसे ऊपर गहरा केसरिया रंग होता है, जो जागृति, शौर्य तथा त्याग का प्रतीक है। बीच में सफेद रंग होता है जो सत्य एवं पवित्रता का प्रतीक है। तथा सबसे नीचे गहरा हरा रंग होता है जो जीवन समृद्धि का प्रतीक है। ध्वज के बीच में सफेद रंग वाली पट्टी के बीच में गहरे नीले रंग की 24 तिलिया वाला अशोक चक्र है जो धर्म और ईमानदारी के मार्ग पर चलकर देश को उन्नति की ओर ले जाने की प्रेरणा देता है। ध्वज की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 हैं। दूध का प्रयोग और प्रदर्शन एक संहिता द्वारा नियमित होता है।                          राष्ट्रीय गान  रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा रचित 'जन गण मन 'को भारत के राष्ट्रीय गान के रूप में स्वीकार किया गया । जन गण मन अधिनायक जया है। भारत भाग्य विधाता।। पंजाब सिंध गुजरात मराठा। द्रविड़ उत्कल बंगा।। विंध्य हिमाचल यमुना गंगा । उच्छल जलधि तरंगा ।। तब शुभ नामे जागे । तव शुभ आश

Hydrosphere

जलमण्डल   जलमंडल (hydrosphere)से तात्पर्य पृथ्वी पर उपस्थित समस्त जल राशि से हैं। पृथ्वी की सतह की 71% भाग पर जल उपस्थित है।उत्तरी गोलार्ध में जल मण्डल तथा स्थलमंडल लगभग बराबर है। परंतु दक्षिणी गोलार्ध में जल मण्डल स्थल मंडल से 15 गुना अधिक है। जलमंडल के अधिकतर भाग पर महासागरों का विस्तार है और बाकी भाग पर सागर तथा झीले है। महासागर 4 हैं जिनमें, प्रशांत महासागर सबसे बड़ा है। बाकी तीन प्रकार है (आकार के हिसाब से) आंध्र अटलांटिक महासागर, हिंद महासागर और आर्कटिक महासागर। महासागरों की औसत गहराई 4,000 मीटर है। महासागरीय जलधारा को निम्न भागों में विभक्त किया जा सकता है। महाद्वीपीय मग्नतट (continental shelf) यह महासागर तट से समुद्री सतह की और अल्प ढाल वाला जलमग्न धरातल होता है। सामान्यत: यह 100 फैदम(fathom) की गहराई तक होती है।(1 fathom =1.8metre) जिन पदों पर पर्वत समुंद्री तट के सात फेरे रहते हैं वहां मग्नतट संकरा होता है। विश्व में तेल में गैस का कुल 20% भाग यहां पाया जाता है। मगन तट समुद्री जीव जंतुओं के समुंदत्म स्थल है मछली और समुद्री खाद्य प्रदान करने में इनकी अति महत्वपूर्ण भूमिका है।

भारत में सामाजिक व धार्मिक सुधार आंदोलन

  भारत में सामाजिक व धार्मिक सुधार आंदोलन:- 1.ब्रह्म समाज:- ब्रह्म समाज की स्थापना राजा राम मोहन राय द्वारा 20 अगस्त 1828 ई० को कोलकत्ता मैं की गई जिसका उद्देश्य तत्कालीन हिंदू समाज में व्यापक बुराइयों जैसे सती प्रथा ,बहू विवाह, वेशयागमन, जातिवाद, अस्पृश्यता आदि को समाप्त करना था। राजा राममोहन राय को भारतीय पुनर्जागरण का मसीहा माना जाता है। राजा राममोहन राय की कुछ प्रमुख कृतियों में"प्रिसेप्ट्स ऑफ जिस्स"प्रमुख है । इन्होंने संवाद कोमोदी का भी संपादन किया। राजा राममोहन राय ने 1814 ईसवी में आत्मीय सभा की स्थापना की, 1815 ईसवी में इन्होंने वेदांत कॉलेज की स्थापना की। इन्होंने सती प्रथा के विरुद्ध आंदोलन चलाया तथा पाश्चात्य शिक्षा के प्रति अपना समर्थन जताया। कालांतर में देवेंद्रनाथ टैगोर (1818 ई ० -1905 ई ०) नए ब्रह्म समाज को आगे बढ़ाया। इनके द्वारा ही केशवचंद्र सेन को ब्रह्म समाज का आचार्य नियुक्त किया गया। 2.आर्य समाज:- आर्य समाज की स्थापना स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा 1875 ई ० मैं मुंबई में की गई, देश का प्रमुख उद्देश्य वैदिक धर्म को पुन: शुद्ध रूप से स्थापित करने का प्रयास भा