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नवंबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

History of India's planning

भारत में नियोजन का इतिहास (भारत में नियोजन का इतिहास) *   1934-सर एम विश्वेशवर्ये ने अपनी पुस्तक planned economy for Indiaमैं 10 वर्षीय योजना प्रस्तुत की जिस का मूल उद्देश्य 10 वर्ष में राष्ट्रीय आय को दोगुना कर ना होते हुए उत्पादक में वृद्धि करना लघु एवं बड़े उद्योगों का समन्वित विकास करना था। *1938-भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पं० जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय नियोजन समिति का गठन किया जिसनेजिसने देश की आर्थिक समस्याओं को ध्यान में रखकर सरकार के समक्ष एक योजना प्रस्तुत की जिस के प्रमुख बिंदु थे-सहकारी कृषि को प्रोत्साहन, उद्योगों का विकास, मिश्रित अर्थव्यवस्था तथा कृषि ऋणों की प्रोत्साहन, उद्योग का विकास, मिश्रित अर्थव्यवस्था तथा कृषि ऋणों की उपलब्धता, *1944-मुंबई के 8 प्रमुख उद्योगपतियों ने मिलकर एक 15 वर्षीय योजना का प्रारूप प्रस्तुत किया जिसे मुंबई प्लेन के नाम से जाना जाता है । Our plan for economic development of India, नाम की इस योजना के माध्यम से प्रति व्यक्ति आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया। यह योजना मुख्य रूप से पूंजीवादी योजना थी जो जन समर्थन न मिलने के कारण

आर्थिक शब्दावली(Economic terminology)

आर्थिक शब्दावली   अनुदान (subsidy): सरकार द्वारा किसी उद्योग या व्यापार को किया गया भुगतान, ताकि उस से उत्पादित वस्तुओं की कीमत ना बढ़े या वह अपनी गतिविधियां बंद ना करें। अनुदान प्रदान करने का उद्देश्य उद्योगों के साथ-साथ उपभोक्ताओं को भी सहायता पहुंचाना है। अनुषंगी हितलाभ (fringe benefits)निर्धारित मासिक वेतन के अतिरिक्त नियोक्ताओं द्वारा अपने कर्मचारियों को जो अतिरिक्त सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं उन्हें अनुषंगी हितलाभ कहा जाता है । आस्थिर उद्योग (footloose industry) वह उद्योग जो किन्ही विशिष्ट अवस्थित संबंधी आवश्यकताओं के अनुभव के कारण कहीं भी स्थापित किए जा सकते हैं अर्थात किसी भी क्षेत्र में उनकी स्थापना की जा सकती है उन्हें अस्थिर उद्योग कहते हैं। अतिरेक बजट (surplus budget)ऐसा बजट जिसमें सरकार की आय उसके वह से अधिक होती है यह अतिरेक  बजट कहलाता है। अनौपचारिक क्षेत्रक (informal sector): विकासशील अर्थव्यवस्था वाले देशों में बड़ी संख्या में लोग छोटे-मोटे एवं संप्रदान स्वरोजगार मैं संलग्न रहते हैं। अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक को अनौपचारिक क्षेत्रक कहते हैं। उदाहरण:-दर्जी, धोबी, मोटर म

विभिन्न भाग और महत्वपूर्ण अनुच्छेद

विभिन्न भाग और महत्वपूर्ण अनुच्छेद भाग 1: संघ एवं उसका राज्य क्षेत्र: इसमें अनुच्छेद 1 से 4 सम्मिलित हैं जिनमें संघ का ना औरम और राज्य क्षेत्र , नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना,नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों की सीमा हो या नामों में परिवर्तन के संबंध में प्रावधान किया गया है। भाग 2: नागरिकता: इसमें अनुछेद 5 से 11 सम्मिलित हैं जिनमें भारत की नागरिकता के संबंध में प्रावधान ह। भाग 3: मौलिक अधिकार:  इसमें अनुच्छेद 12 से 35 सम्मिलित है जिनमें मूल अधिकारों के संबंध में प्रावधान किया गया है। इसमें अनुच्छेद 14 से 18 तक में समानता का अधिकार, अनुच्छेद 19 से 22 तक में स्वतंत्रता का अधिकार, अनुच्छेद 23 व 24 में शोषण के विरुद्ध अधिकार, अनुच्छेद 25 27 में धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार, अनुच्छेद 29 एवं 30 में संस्कृति एवं शिक्षा से संबंधित अधिकार तथा अनुच्छेद 32 से 35 में नागरिकों को पदार्थ व संवैधानिक उपचारों के अधिकार है। भाग 4: राज्य के नीति निर्देशक तत्व: इसमें अनुच्छेद 36से 51 सम्मिलित है, जिनमें राज्य की नीति के निर्देशक तत्वों का उल्लेख किया गया है। भाग 4 क: मूल कर्तव्य:

नगर प्रशासन

नगर प्रशासन:-   भारतीय संविधान के 74वे संविधान संशोधन के आधार पर उत्तर प्रदेश के राज्य विधान मंडल ने उत्तर प्रदेश नगर स्वायत्त शासन अधिनियम,1994'पारित किया है । तथा इसी के अनुपालन में प्रदेश में नागरिया स्वायत्त  शासन की व्यवस्था की गई है।सन 1994 के इस अधिनियम से पूर्व उत्तर प्रदेश राज्य के नगरीय क्षेत्र के लिए स्थानीय स्वायत्त शासन की 5 संस्थाएं थी, किंतु इस अधिनियम द्वारा केवल निम्नलिखित तीन संस्थाएं शेष रह गई है- 1. नगर निगम सन 1960 में प्रदेश के 500000 से अधिक जनसंख्या वाले पांच नगरों में नगर निगमों की स्थापना की गई थी। सन 1982 के अधिनियम के अनुसार तीन अन्य महानगरों-मेरठ, बरेली, तथा गोरखपुर-मैं नगर निगम स्थापित कर दिया गया है । बाद में गाजियाबाद, अलीगढ़ और मुरादाबाद में नगर निगम स्थापित हो गए हैं। वर्तमान में कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, आगरा, मेरठ, बरेली, गोरखपुर, झांसी, गाजियाबाद, अलीगढ़, सहारनपुर, उन्नाव तथा मुरादाबाद में नगर निगम कार्य रत है। पहले नगर निगम को ही नगर महापालिका कहते थे।अब महापालिका शब्द के स्थान पर निगम शब्द का प्रयोग किया जाने लगा है। नगर निगम का गठन:-प

National income of india

भारत की राष्ट्रीय आय:- राष्ट्रीय आय क्या अर्थ किसी देश में 1 वर्ष के मध्य उत्पादित सभी वस्तुओं एवं सेवाओं के बाजार मूल्य के कुल जोड़ से है जिसे हाथ से घटाकर में विदेशी लाभ जोड़कर निकाला जाता है।   एक देश की राष्ट्रीय आय में पांच प्रकार से प्रकट की जाती है:- 1. सकल राष्ट्रीय उत्पादन अथवा सकल घरेलू उत्पाद Gross National product or GNP aur gross domestic product:- सकल राष्ट्रीय उत्पादन सेअर्थ 1 वर्ष में उत्पादित होने वाले सभी वस्तुओं और सेवाओं के बाजार मूल्य के जोड़े से हैं। इसमें स्थाई संपत्तियों पर होने वाले हादसे को नहीं घटाया जाता है। वास्तव में, सकल राष्ट्रीय उत्पादन 2 अनुमानों  का जोड़ है:- देश में उत्पादित सभी वस्तुओं के मूल्य एवं विदेशों से प्राप्त शुद्ध आय। सकल राष्ट्रीय उत्पादन एवं राष्ट्रीय आय में अंतर है। सकल राष्ट्रीय उत्पादन देश के संपूर्ण उत्पादन (ह्रास बिना घटाएं ही)का बाजार मूल्य होता है जबकि राष्ट्रीय आय शुद्ध उत्पादन (ह्रास घटाने के बाद) होता है। सकल राष्ट्रीय उत्पादन में चालू वर्ष में उत्पन्न वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य को ही शामिल किया जाता है। 2. शुद्ध राष्ट्रीय उत्पा

Man made substances

मनुष्य द्वारा निर्मित पदार्थ (  man-made substances) साबुन( soap) उच्च वसीय अम्लों के सोडियम एवं पोटेशियम  लवण साबुन कहलाते हैं, जैसे सोडियम पॉलीमरटेड, स्टिरेड तथा सोडियम औलिएट, आदि। साबुन के निर्माण के आवश्यक प्रयुक्त सामग्री जंतुओं की चर्बी, वनस्पति तेल, सोडियम हाइड्रोक्साइड, सोडियम क्लोराइड आदि (अतः साबुन बनाने का प्रक्रम साबुनीकरण कहलाता है) डिटर्जेंट (detergent) डिटर्जेंट एक विशेष प्रकार के कार्बनिक योगिक है, दिन में साबुन के समान ही सफाई का गुण विद्यमान होता है, परंतु यह स्वयं साबुन नहीं होते। लॉरिअल सल्फ्यूरिक एसिड सोडियम हाइड्रोक्साइड के साथ अभिक्रिया कराने पर सोडियम लॉरिअल सल्फेट प्राप्त होता है। यही डिटर्जेंट (कृत्रिम साबुन) है। स्टेशन के निर्माण में आवश्यक प्रयुक्त सामग्री उच्च अणु भार वाले हाइड्रोकार्बन, सल्फ्यूरिक एसिड तथा सोडियम हाइड्रोक्साइड आदि। बहुलक (polymer) अधिकार उधार वाला यह योगिक जो कम अनुभव वाले एक या एक से अधिक प्रकार के बहुत से अणुओं के संयोजन से बनते हैं, जिनके बीच से संयोजन बंध होता है, बहूलक, के लाते हैं तथा यह प्रक्रम बहुलीकरण कहलाता है। बहुलीकरण के प्रकार

Radioactivity

रेडियोएक्टिवता (radioactivity)   वह तत्व जो प्रकृति में स्वत: विघटित होते रहते हैं, रेडियोएक्टिव तत्व कहलाते हैं। इनसे निकलने वाली किरणें रेडियोएक्टिव  किरणें कहलाती है, तथा इनका यह गुण रेडियोएक्टिवता कहलाता है। रेडियोएक्टिव ताकि खोज फ्रांस के भौतिक शास्त्री हेनरी बेकिवर ने सन् 1896 मैं की। रेडियोएक्टिव पदार्थ से निकलने वाली किरणें तीन प्रकार की होती हैं:- 1. एल्फा कण (Alpha particles) एल्फा कण हीलियम नाभिक या (He 4+) होते हैं तथा प्रत्येक में दो प्रोटोन, दो न्यूट्रॉन तथा दो इकाई धन आवेश होते हैं। यह प्रबल चुंबकीय विद्युत क्षेत्र में ऋण प्लेट की ओर विक्षेपित एक हो जाते हैं। 2. बीटा कण (beta particles) यह ऋणात्मक आवेश वाले कण है। अत: यह कण वास्तव में इलेक्ट्रॉन है। यह विद्युतीय तथा चुंबकीय क्षेत्र में धन प्लेट की और अधिक विक्षेपित होते हैं। 3. गामा किरणें (gama rays) आवेश शुन्य होता है तथा यह द्रव्यमान रहित होता है। ये कण विद्युतीय तथा चुंबकीय क्षेत्र में विचलित नहीं होती है। आता है या उदासीन होती है। गामा किरणों को रेडियो सक्रिय विघटन का द्वितीय प्रभाव मान सकते हैं। ऐसा नाभिक दिन में प

Major movements of the world

 विश्व के प्रमुख आंदोलन एवं महान क्रांतियां  :- 1. पुनर्जागरण (Renaissance) *नवयुग के "की सूचना देने वाले पुनर्जागरण आंदोलन 15वीं शताब्दी में हुए थे। *पुनर्जागरण का अर्थ होता है-फिर से जागना। *मध्यकाल में यूनानी एवं लेटेस्ट साहित्य को भूलकर यूरो की जनता अंधविश्वासों में पड़ गई थी, उस में निराशा की भावना एवं उत्साहहीनता ने जन्म ले लिया था। पुनर्जागरण ने मध्ययुगीन आडंबरों,अंधविश्वास एवं प्रथाओं को समाप्त किया। तथा उनके स्थान पर व्यक्तिवाद, भौतिकवाद, स्वतंत्रता की भावना, उन्नत आर्थिक व्यवस्था एवं राष्ट्रवाद को प्रतिस्थापित किया। *पुनर्जागरण का आरंभ इटली के फ्लोरेंस नगर से माना जाता है। *ब्रिजेटाइम समाज की राजधानी कुस्तुनतुनिया का पतन, पुनर्जागरण का एक प्रमुख कारण था। *इटली के महान कवि दाते को पुनर्जागरण का अग्रदूत माना जाता है। इन्होंने इटली की बोलचाल की भाषा तस्कन में'डिवाइन कॉमेडी'की रचना की। *इटली के निवासी पेंट्राक को मानववाद का संस्थापक मारा जाता है। *द प्रिंस के रचेत मैकियावेली को आधुनिक विश्व का प्रथम राजनीतिक चिंतक माना जाता है। *द लास्ट सपर एवं मोनालिसा नामक अमर चित्

Cultural Institute of India

भारत के सांस्कृतिक संस्थान:- 1. ललित कला अकादमी (National academy of fine art) भारतीय कला (मूर्ति बनाने की विद्या, वास्तुकला और अनुप्रयुक्त कलाएं) के प्रति विदेश में समझ बढ़ने और प्रचार प्रसार के लिए इसकी स्थापना 1954 में की गई। 2. संगीत नाटक अकादमी (National academy of music, dance and drama) राज्यो और स्वैच्छिक संगठनों के सहयोग से प्रदर्शित भारतीय कलाओं (नृत्य ,नाटक और संगीत) को प्रोत्साहित करने के लिए 1953 में इसकी स्थापना की गई। 3. राष्ट्रीय नाटक विद्यालय (National school of drama) सन 1959 मैं इसकी स्थापना संगीत नाटक अकादमी द्वारा प्रीमियर नाट्यशाला स्थान के रूप में हुई। 1975 में एक स्वायत्त संस्थान के रूप में इसकी रजिस्ट्री हुई जो कि संघ सरकार द्वारा वित्तपोषित किया जाता है। 4. साहित्य अकादमी (sahitya academy) इसकी स्थापना निम्न उद्देश्यों के साथ सन 1954 में हुई- *भारतीय साहित्य का विकास करना। *उच्च साहित्य मानकों का निर्माण करना। *सभी भारतीय भाषाओं में साहित्य गतिविधियों को उत्साहित एवं समन्वित करना। *इनके द्वारा देश की संस्कृति एकता को बढ़ाना ।   5. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ar

President

राष्ट्रपति:- भारतीय संघ की कार्यपालिका के प्रधान को राष्ट्रपति कहा जाता है। राष्ट्रपति कार्यपालिका का औपचारिक प्रधान है और मंत्रिपरिषद कार्यपालिका की वास्तविक प्रधान, राष्ट्रपति भारत का संवैधानिक अध्यक्ष है। राष्ट्रपति अनेक अधिकारों का प्रयोग स्वयं या अपने अधीनस्थ सरकारी अधिकारियों द्वारा करता है। योग्यताएं:- वह भारत का नागरिक हो। वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हूं। वह लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता रखता हो । वह किसी भी सरकारी लाभ के पद पर आसीन नहीं होना चाहिए। निम्न पद लाभ के पद नहीं माने जाते-राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल, केंद्रीय अथवा राज्य का मंत्री। राष्ट्रपति पद के लिए नाम का प्रस्ताव तथा उसका अनुमोदन कम से कम 50- 50 निर्वाचक ओ द्वारा किया जाना चाहिए। निर्वाचन प्रक्रिया:- भारत का राष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचन मंडल द्वारा चुना जाता है।जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और राज्य विधानसभाओं और संघीय क्षेत्रों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं। राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में संसद के मनोनीत सदस्य, राज्य विधानसभाओं के मनोनीत सदस्य तथा रा

Harshakalin achievements( हर्षकालीन उपलब्धियां)

 हर्षकालीन उपलब्धियां  :- गुप्त शासकों के पतन के बाद भारतीय इतिहास छोटे-छोटे स्वतंत्र राज्यों के पारस्परिक संघर्ष का इतिहास बन गया। इन सभी राज्यों में थानेश्वर या स्थाण्वीशवर के पुष्यभूति वंश ने संपूर्ण उत्तरी भारत में अपना एक छत्र साम्राज्य स्थापित करने में सफलता प्राप्त की। इसी राजवंश के राजा हर्षवर्धन ने भारतीय इतिहास में अंतिम हिंदू सम्राट होने का गौरव प्राप्त किया। हर्षवर्धन इस वंश का प्रतापी राजा था। उसके पिता का नाम प्रभाकरवर्धन तथा माता का नाम यशोमती था। उस का राज्यारोहण 606 ई० मैं हुआ। हर्ष की मृत्यु 647 ई० मैं हुई । उसने कुल 41 वर्ष तक शासन किया। उसकी राजधानी पहले थानेश्वर थी किंतु बाद में उसने उसे कन्नौज स्थानांतरित कर दिया। राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक उपलब्धियां:- 1. राजनीतिक उपलब्धियां:- हर्ष से पूर्व समस्त भारत की राजनीतिक एकता खंडित हो चुकी थी। तथा छोटे-छोटे राज्यों के पारस्परिक संघर्ष बढ़ गए थे तभी हर्ष की नीतियां एवं प्रयासों ने भारत में पुन: राजनीतिक एकता स्थापित करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया । हर्ष का साम्राज्य उत्तर में हिमालय से दक्षिण में नर्मदा नदी के तट तक

Indian Agriculture

भारत: कृषि   रबी फसल:- यह अक्टूबर-नवंबर में बोई जाती है तथा मार्च-अप्रैल में काटी जाती है। जैसे:-गेहूं, जो, चना, तिलहन इत्यादि। खरीफ फसल:- यह जून-जुलाई में बोई जाती है रात अक्टूबर में काटी जाती है। जैसे:-चावल, मक्का, कपास, ज्वार, गन्ना, बाजरा, तंबाकू, दाले इत्यादि। जायद फसल:- यह मार्च में बोई जाती है तथा मई-जून में काटी जाती है।जैसे:-ककड़ी, खीरा, तरबूज, इत्यादि। नकदी फसल:- यह वह फसल है जो व्यापार के उद्देश्य में किसानों द्वारा उगाई जाती है। जैसे कपास, गन्ना, जुट, तंबाकू इत्यादि।  कुछ महत्वपूर्ण फसलें एवं उत्पादक राज्य:- फसल।                 राज्य (घटते क्रम में) चावल।              पश्चिम बंगाल, पंजाब, उत्तर प्रदेश,                                 आंध्र प्रदेश गेहूं।                  उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा मक्का।            मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक बाजरा।           राजस्थान, गुजरात , उत्तर प्रदेश ज्वार।             महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश गन्ना।                उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक कपास।             गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश जूट।